भारत के दानवीर अजीम प्रेमजी की कहानी Biography of Azim Premji Wipro

जिंदगी में पैसा तो हर कोई कमाता है लेकिन उस पैसे के साथ मान-सम्मान और लोगों का प्यार कमाना थोड़ा मुश्किल काम होता है. देश में कई अमीर लोग हैं लेकिन मुश्किल से हम कुछ गिने-चुने लोगों को जानते हैं. Azim Premji उन्हीं गिने चुने लोगों में से हैं. अजीम प्रेमजी अमीर तो हैं ही साथ ही वे भारत के सबसे बड़े दानवीर उद्योगपति है. यही वजह की भारत में ही नहीं बल्कि दुनियाभर के लोग अजीम प्रेमजी को जानते हैं और उनका सम्मान करते हैं. इस लेख में आप अजीम प्रेमजी और उनकी Company Wipro के बारे में जानेंगे.

अजीम प्रेमजी का प्रारम्भिक जीवन

Early life of Azim Premji अजीम प्रेमजी का जन्म 24 जुलाई 1945 को मुंबई में हुआ था. अजीम जी का परिवार शुरू से ही मुंबई में नहीं था. प्रेमजी कर परिवार मूल तौर पर बर्मा यानी म्यांमार का था. बर्मा में प्रेमजी के पिताजी को राइस किंग कहते थे. कुछ कारणों से प्रेमजी के परिवार को गुजरात के कच्छ आना पड़ा. गुजरात आकार भी इनके पिता ने चावल का बिजनेस शुरू किया. साल 1945 तक अजीम के पिता हाशिम प्रेमजी भारत के प्रमुख चावल व्यापारी बन चुके थे.

अजीम प्रेमजी के जन्म के साथ ही उनके पिता ने चावल के कारोबार के अलावा दूसरे कारोबार में आना शुरू कर दिया. साल 1945 में उन्होने वनस्पति घी बनाने वाली कंपनी खोली जिसका नाम रखा Western India Palm Refined Oil Limited जिसे आज हम WIPRO के नाम से जानते हैं. हाशिम जी की ये कंपनी अच्छी चल रही थी और अजीम जी भी छोटे थे. तभी देश का बंटवारा हो गया. हाशिम जी उस समय देश के प्रमुख कारोबारियों में से एक थे और मुस्लिम भी थे.

बँटवारे के समय पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना ने हाशिम जो पाकिस्तान आने के लिए कहा. जिन्ना ने हाशिम जी को वित्त मंत्री बनाने का प्रस्ताव भी दिया था लेकिन हाशिम जी ने इस प्रस्ताव को नकार दिया. उनका विश्वास एक धर्मनिरपेक्ष भारत में था. उन्हें भारत में ही अपना भविष्य सुरक्षित लगता था तो उन्होने भारत में ही रहने का फैसला किया. उनका ये फैसला बाद में सही भी साबित हुआ क्योंकि काफी सालों तक पाकिस्तान भारत के साथ संघर्ष करता रहा और अभी भी करता आ रहा है.

अजीम जी बिजनेस में कैसे आए?

अजीम प्रेमजी को पढ़ाई के लिए अमेरिका की Stanford University में भेजा गया था. यहाँ उनकी पढ़ाई अच्छी ही चल रही थी तभी 11 अगस्त 1966 के दिन उनके पास भारत से एक फोन आया और उनकी माताजी ने बताया की उनके पिता  हाशिमजी अब नहीं रहे अजीम जी और उनके परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा. अजीम जी मुंबई आए और कुछ वक्त बाद उन्हें कंपनी की कमान संभालनी पड़ी. जब उन्होने अपनी पढ़ाई छोड़ी तब वे सिर्फ 21 साल के थे.

अजीमजी ने विप्रो को कैसे आगे बढ़ाया?

अजीमजी ने जिस समय कंपनी की कमान संभाली उस समय तक उनके पिता की कंपनी एक Vegetable Oil Company ही थी. लेकिन कुछ ही सालों में अजीम जी ने कंपनी की तस्वीर बदलकर रख दी. जब उन्होने कंपनी की कमान संभाली थी तब कंपनी की वैल्यू 7 करोड़ रुपये थी जो उस समय के हिसाब से बहुत ज्यादा थी. अजीम जी को ऐसा कोई अनुभव नहीं था जिससे वे इस 7 करोड़ रुपये की कंपनी को संभाल सकते फिर भी उन्होने हिम्मत से काम लिया और कंपनी को चलाया. अजीम प्रेमजी ने कंपनी को बेहतर बनाने के लिए कंपनी को पॉलिसी, तकनीक और प्रॉडक्ट को शानदार बनाया. इस तरह कंपनी तेजी से आगे बढ़ने लगी.

साल 1980 में अजीम जी ने विप्रो में एक बड़ा बदलाव किया. अजीम जी ने एक वनस्पति तेल बनाने वाली कंपनी को आईटी कंपनी में बदलने की दिशा में कदम रखा. उन्होने अपनी कंपनी का नाम छोटा किया और विप्रो रख दिया. विप्रो ने Personal Computer बनाना शुरू किया. साथ ही Software Services की बिक्री भी शुरू की. उनके द्वारा बनाए गए पर्सनल कम्प्युटर काफी सराहे गए. आज ये कंपनी एक Global IT Company बन चुकी है. आज Wipro की कीमत 1.8 लाख करोड़ रुपये है. अजीम प्रेमजी को IT industry का सम्राट भी कहा जाता है.

विप्रो को आगे बढ़ाने के लिए अजीम जी ने निजी रूप से भी काफी मेहनत की है. विप्रो ने जब आईटी के क्षेत्र में काम रखा तो उन्हें दूसरे देश से भी काम मिलने लगा. आईटी में आने के साथ ही अजीम जी ने अपनी इंजीनियरिंग की पढ़ाई भी दोबारा शुरू की उन्होने करेस्पोंडेंस क्लास के जरिये स्टेनफोर्ड यूनिवर्सिटी से इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की. इसके बाद साल 2000 में उन्होने कंपनी को New York Stock Exchange में लिस्ट किया. साल 2005 में अजीम प्रेमजी कंपनी के CEO बने. आज विप्रो का आईटी बिजनेस 110 देशों में है और कंपनी में 1.5 लाख से ज्यादा कर्मचारी काम करते हैं.

भारत के सबसे बड़े दानवीर अजीम प्रेमजी

भारत में काफी सारे अमीर लोग हैं लेकिन अजीम जी जैसा अमीर कोई नहीं. अजीम जी भारत के सबसे बड़े दानवीर कहलाते हैं. इसकी वजह है की उन्होने देश में शिक्षा के क्षेत्र में उन्नति लाने का जिम्मा अपने कंधों पर लिया है. उन्होने समाज में शिक्षा के स्तर को सुधारने के लिए अजीम प्रेमजी फाउंडेशन की स्थापना की है. इस फाउंडेशन के लिए अजीम जी ने शुरुआत में ही करीब 2.2 अरब डॉलर दान कर दिये थे.

प्रेमजी ने द गिविंग प्लेज पर भी साइन किया है. और वे पहले भारतीय है जिनहोने ऐसा किया है. गिविंग प्लेज पर साइन करने का मतलब ये होता है की वो व्यक्ति अपनी कमाई का अधिकतम हिस्सा दान में देगा. प्रेमजी अभी तक विप्रो के करीब 67% शेयर प्रेमजी फाउंडेशन को दान कर चुके हैं. ये फ़ाउंडेशन उत्तराखंड, राजस्थान, छत्तीसगढ़, पुद्दुचेरी, तेलंगाना, मध्य और उत्तरपूर्वी राज्यों में सक्रिय है. इसमें दान किए पैसे को गरीबों के कल्याण, बच्चों की शिक्षा और धार्मिक कार्यों में लगाया जाता है.

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अजीम प्रेमजी ने कंपनी से रिटायरमेंट ले लिया है और अब वे अपने बचे हुए समय को समाज सेवा के कार्यों में लगाना चाहते हैं. वे देश में शिक्षा के स्तर में सुधार के कार्य करना चाहते हैं. अजीम जी एक अच्छे Business men के साथ-साथ एक नेक दिल इंसान भी हैं. उन्होने पैसों से ज्यादा इज्जत कमाई है. 

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