जो लोग Income tax का भुगतान करते हैं उन्होने कभी न कभी कैपिटल गैन के बारे में जरूर सुना होगा. कई लोगों को ये बात भी परेशान करती है की कैपिटल गैन टैक्स क्या है? ये उनसे क्यों लिया जा रहा है और वे इसकी गणना कैसे करें. तो घबराने की जरूरत नहीं है Capital gain tax का कान्सैप्ट बहुत ही आसान है जिसे आप बड़े अच्छे से समझ जाएंगे.
सरकार आपसे जो टैक्स लेती है वो आपकी Income पर लेती है. आपको भले ही ये लगता हो की आपकी इंकम सिर्फ आपकी सैलरी से हो रही है लेकिन आपकी Income Salary के साथ-साथ और भी कई सारे स्त्रोत से हो सकती है. जैसे आपने पहले कोई Property कम दाम में खरीदी हो और अब उसे ज्यादा दाम में बेच दिया हो. इसी तरह ज्वेलरी खरीदी हो और अब उसका दाम आपको ज्यादा मिला हो. तो इससे मिला लाभ आपकी इंकम में गिना जाता है.
कैपिटल गैन का संबंध प्रॉपर्टी से है. मान लीजिये आपने कुछ साल पहले कोई Property खरीदी थी. उस समय उसकी कीमत बहुत कम थी अब आपने उसे अच्छे दामों पर बेच दिया. अब इससे जो लाभ हुआ उसे आपकी इंकम में गिना जाएगा और आपको उस पर Income tax देना पड़ेगा जिसे कैपिटल गैन कहा जाएगा. हालांकि कई परिस्थितियों में आपको कैपिटल गैन पर अलग से टैक्स देना होता है जो सरकार की तरफ से फिक्स होता है.
कैपिटल गैन को हिन्दी में पूंजी लाभ भी कहा जाता है. कैपिटल गैन के अंतर्गत सिर्फ प्रॉपर्टी नहीं आती बल्कि इसके अंतर्गत गहने, कार, शेयर, बॉन्ड आदि भी आते हैं. इन्हें बेचने पर यदि आपको कोई लाभ होता है तो उसे कैपिटल गैन के अंतर्गत रखा जाता है और इस पर आपको कैपिटल गैन टैक्स देना होता है.
कैपिटल गैन दो प्रकार का होता है
शॉर्ट टर्म कैपिटल गैन Short term capital gains
शॉर्ट टर्म कैपिटल गैन वो कैपिटल गैन होता है जिसमें हम किसी भी पूंजी को कम समय रख कर बेच देते हैं. नियम के अनुसार यदि आपने कोई प्रॉपर्टी खरीदी और उसे 3 साल से कम समय रख कर बेच दी तो उसे शॉर्ट टर्म कैपिटल गैन कहते हैं. इसके अलावा यदि कोई अचल संपत्ति है तो इसकी सीमा 2 साल है और शेयर के लिए 12 महीने की सीमा है. अगर इस समय सीमा में बेच दिया गया तो उसे शॉर्ट टर्म कैपिटल गैन कहा जाएगा.
शॉर्ट टर्म कैपिटल गैन टैक्स रेट Short term capital gain tax rate
शॉर्ट टर्म कैपिटल गैन के लिए सरकार ने अलग से कोई टैक्स रेट तय नहीं किया है. इस पर टैक्स कुछ इस तरह लगता है की मान लीजिये आपने कोई संपत्ति बेची और उस से आपको जितना भी लाभ हुआ वो आपकी इन्कम में जुड़ेगा और आपको उस पूरी इन्कम का इन्कम टैक्स देना होगा.
लॉन्ग टर्म कैपिटल गैन Long term capital gains
अगर आपने कोई प्रॉपर्टी खरीदी और उसे 3 साल के बाद बेचा तो वो Long term capital gains के अंतर्गत आती है. लॉन्ग टर्म कैपिटल की सीमा किसी अचल संपत्ति के लिए 2 साल और शेयर के लिए 12 महीने के बाद है. इनके अलावा यदि आप कोई बॉन्ड या Mutual fund लेते हैं तो इसके लिए 3 साल से ज्यादा की सीमा है.
लॉन्ग टर्म कैपिटल गैन टैक्स रेट Long Term Capital Gain Tax Rate
लॉन्ग टर्म कैपिटल गैन के लिए सरकार ने कैपिटल गैन टैक्स रेट को फिक्स किया हुआ है. अगर आप लॉन्ग टर्म कैपिटल गैन के तहत कोई प्रॉपर्टी या कोई और चीज बेचते हैं तो आपको उस पर 20 प्रतिशत का कैपिटल गैन टैक्स देना होता है. कुछ विशेष मामलों में ये 10% भी हो सकता है.
कैपिटल गैन पर टैक्स की गणना करने का निम्न तरीका है.
– सबसे पहले प्रॉपर्टी की पुरानी कीमत का आंकलन करें जिस कीमत पर आपने उसे खरीदा था.
– इस प्रॉपर्टी को खरीदते वक़्त आपने कितनी Stamp duty और Registration fee चुकाई थी उसे अन्य खर्चों में जोड़ें.
– प्रॉपर्टी को संभालने तथा मरम्मत करवाने में आपने कितना खर्च किया उसे भी जोड़ें.
– इसके अलावा अन्य कुछ खर्चें जो वैधानिक हो उन्हें भी जोड़ें.
– इन सभी खर्चों को जोड़कर आपने प्रॉपर्टी को जितने में बेचा उसमें से घटाएँ और बची हुई राशि निकालें.
– बची हुई राशि ही आपका कैपिटल गैन यानि पूंजी लाभ है इस पर ही आपको कैपिटल गैन टैक्स देना होता है.
कैपिटल गैन टैक्स हर साल आपको भरना है ऐसा जरूरी नहीं है इसे आपको तभी देना है जब आपको किसी पूंजी से कोई लाभ हुआ है. यानि जो चीजें कैपिटल गैन के तहत आती है उन्हें बेचने से यदि आपको कोई लाभ हुआ है तो आपको कैपिटल गैन टैक्स देना है अन्यथा नहीं देना है.
अब तो आप जान गए होंगे की कैपिटल गैन क्या होता है और कैपिटल गैन टैक्स किस तरह जोड़ा जाता है. अब आप खुद आसानी से अपने इंकम टैक्स में अपने कैपिटल गैन टैक्स को जोड़ सकते हैं और अपना कैपिटल गैन निकाल सकते हैं.
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