GD Birla Jivani: घनश्याम दास बिड़ला की जीवनी, जीडी बिरला ने किस बैंक की स्थापना की थी

आज के समय में हम भारत में कई अमीर घरानों को देखते हैं. जैसे टाटा, अंबानी, बिड़ला आदि. ये सभी घराने कई सालों से बिजनेस के क्षेत्र में मेहनत करते आ रहे हैं तब जाकर इस मुकाम पर पहुंचे हैं. टाटा और अंबानी परिवार के बारे में तो काफी लोग जानते हैं लेकिन बिड़ला फ़ैमिली के बारे में कम ही लोग जानते हैं. घनश्याम दास बिड़ला एक ऐसे शख्स हैं जिनहोने बिड़ला बिजनेस को शुरू करके उसका विस्तार किया है.

घनश्याम दास बिड़ला जीवनी

बिड़ला परिवार की कहानी के कई अलग-अलग हिस्से हैं. लेकिन असल तौर में इस कहानी की शुरुवात घनश्याम दास बिड़ला के साथ ही शुरू होती है. क्योंकि वर्तमान में आज जिस बिड़ला ग्रुप को आप देखते हैं. उसकी नीव रखने वाले घनश्याम दास बिड़ला ही हैं.

घनश्याम दास बिड़ला का जन्म 10 अप्रैल 1894 को राजस्थान के पिलानी में हुआ था. ये एक मारवाड़ी परिवार से आते हैं और इनका परिवार वहाँ ब्याज पर पैसे देने का काम किया करता था. लेकिन जीडी बिड़ला उस काम को नहीं करना चाहते थे. उनका मानना था कि वे व्यावसाय में बहुत ज्यादा पैसा कमा सकते हैं. इसलिए वे सारा ध्यान उसी ओर लगाते थे.

जीडी बिड़ला ने बिजनेस कैसे शुरू किया?

जीडी बिड़ला बिजनेस करने की चाह में पिलानी छोड़कर कोलकाता चले गए. वहाँ वे एक हॉस्टल में रहा करते थे, जहां उनके साथ कुछ अन्य मारवाड़ी लड़के भी रहा करते थे. कोलकाता में जीडी बिड़ला ने अपने ससुर एम सोमानी की मदद से पटसन की दलाली का काम शुरू कर दिया. उस समय पहला विश्वयुद्ध चल रहा था तो पटसन और कपास की खूब मांग थी. जिसके चलते बिड़ला को बेहद मुनाफा हुआ.

जीडी बिड़ला की पहली कंपनी

जीडी बिड़ला ने पटसन और कपास की ट्रेडिंग से काफी पैसा जुटाया. साल 1917 में जीडी बिड़ला ने अपनी पहली कंपनी ‘बिड़ला ब्रदर्स’ शुरू की. ये उनकी पहली पटसन मिल थी. इस कंपनी को उन्होने 50 लाख के निवेश के साथ शुरू किया था. इस कंपनी ने देश में काफी नाम कमाया. साल 1939 तक ये देश की 13वी सबसे बड़ी निजी कंपनी बन चुकी थी.

बिड़ला ब्रदर्स को शुरू करने के साथ ही उन्होने ग्वालियर में एक कपड़ा मिल को शुरू किया. कुछ समय बाद दिल्ली में एक पुरानी कपड़ा मिल को खरीद लिया. इस तरह उन्होने पटसन और कपास के व्यापार में अपनी जड़े जमाई.

जीडी बिड़ला का एम्बेस्डर से रिश्ता

भारत में आज तो काफी हाईटेक कार आ चुकी है. लेकिन यदि आपकी उम्र 20 या 22 साल से ज्यादा है तो आप ये जानते होंगे कि एक समय में देश में एम्बेस्डर कारों का कैसा वर्चस्व था. ऐसा माना जाता था कि जिस व्यक्ति के पास एम्बेस्डर कार है वो बहुत ही खास व्यक्ति है. आमतौर पर बड़े-बड़े राजनेता, अधिकारी इस कार का प्रयोग किया करते थे. इसे उस समय Road King के नाम से जाना जाता था.

इस कार को लाने वाले कोई और नहीं जीडी बिड़ला ही हैं. इनहोने साल 1940 में Hindustan Motors को स्थापित किया था. British Company ‘Morris’ के मॉडल Morris Oxford Series III के मॉडल के अधिकार को Hindustan Motors ने खरीदकर उसे Hindustan Motors की Ambassador का रूप दे दिया. जिसे लोगों ने काफी ज्यादा पसंद किया. आज के समय में जैसे फेरारी, लेम्बोर्गिनी जैसी कारों को देखकर लोगों की साँसे रुक जाती है. वैसे ही उस जमाने में Ambassador को देखकर लोग बस देखते ही रह जाते थे.

घनश्याम दास बिड़ला ने कौन सा बैंक बनाया?

इन्टरनेट पर अक्सर लोग ये सवाल पूछते हैं कि जीडी बिड़ला ने कौन सा बैंक बनाया था? तो बात है साल 1942 की जब जीडी बिड़ला देश में एक स्थापित उद्यमी बन चुके थे. तब देश में ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ चल रहा था. तब उनके दिमाग में एक विचार आया कि क्यों न ऐसा बैंक बनाया जाये जो व्यापारिक उद्देश्यों की पूर्ति करता हो. इसी उद्देश्य के साथ उन्होने 6 जनवरी 1943 में United Commercial Bank Limited की स्थापना की. जिसका मुख्यालय कोलकाता में बना. आज ये बैंक UCO Bank के नाम से जाना जाता है.

जीडी बिड़ला और महात्मा गांधी के संबंध

जीडी बिड़ला महात्मा गांधी से काफी ज्यादा प्रेरित थे. जीडी बिड़ला एक सच्चे स्वदेशी और स्वतन्त्रता आंदोलन के समर्थक थे. इसलिए वे अपना पूरा समर्थन महात्मा गांधी को देते थे. जीडी बिड़ला ने महात्मा गांधी के हर आंदोलन के लिए आर्थिक सहायता मुहैया कराई है. उन्होने उस समय देश के पूँजीपतियों से राष्ट्रीय आंदोलन का समर्थन करने और कांग्रेस के हाथ को मजबूत करने की अपील की थी.

जीडी बिड़ला पहली बार गांधीजी से साल 1916 में मिले थे और तब से ही वे गांधीजी के विचारों से प्रभावित थे. एक उद्योगपति होकर वे खुद तो आंदोलन में हिस्सा नहीं ले पाते थे लेकिन गांधीजी को आंदोलन करने के लिए जितने भी धन की आवश्यकता होती थी वे उस धन को तुरंत उपलब्ध कराते थे. गांधीजी को आर्थिक रूप से जीडी बिड़ला ने कभी कमी नहीं आने दी. गांधीजी ने अपने जीवन के अंतिम 4 महीने बिड़ला के निवास पर ही गुजारे थे.

BITS Pilani का संस्थापक कौन है?

इंजीनियरिंग में जाने वाले अधिकतर छात्र आईआईटी में जाने का सपना देखते हैं. लेकिन उनका यदि आईआईटी में सिलेक्शन नहीं होता है तो वे BITS Pilani में एडमिशन ले लेते हैं. ये देश के टॉप 10 इंजीनियरिंग इंस्टीट्यूट में शुमार है. इसकी स्थापना करने वाले भी जीडी बिड़ला ही हैं. जीडी बिड़ला ने साल 1964 में Birla Institute of Technology and Science की स्थापना पिलानी, राजस्थान में की थी. जिसे आज हम बिट्स पिलानी के नाम से जानते हैं.

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जीडी बिड़ला देश के ऐसे बिजनेसमेन हैं जिनहोने अंग्रेजों के समय में अपने बिजनेस का विस्तार किया. इसके साथ ही उन्होने देश को स्वतंत्र कराने के लिए आर्थिक योगदान भी दिया. युवाओं को शिक्षित करने के लिए कॉलेज बनाए, देश को एम्बेस्डर जैसी गाड़ी दी. उनके अमूल्य योगदान के लिए भारत सरकार ने उन्हें देश के दूसरे महत्वपूर्ण सम्मान पद्म विभूषण से साल 1957 में नवाजा था. देश में इतने अमूल्य योगदान देने वाले जीडी बिड़ला का 11 जून 1983 को 89 साल की उम्र में स्वर्गवास हो गया. उनके बाद उनके बिजनेस को उनके बेटे बसंत कुमार बिड़ला ने संभाला.

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