Indigo Success Story : दो दोस्तों ने उधारी पर शुरू की देश की सबसे बड़ी एयरलाइन

भारत में 50 प्रतिशत लोग Indigo के हवाई जहाज में सफर करते हैं. यानि हर दूसरा पैसेंजर इंडिगो में यात्रा कर रहा है. लेकिन साल 2005 तक जिस कंपनी को कोई जानता नहीं था. उस कंपनी ने किंगफिशर, एयर इंडिया जैसे बड़े दिग्गजों को पछाड़कर भारतीय विमान इंडस्ट्री में कैसे पहचान बनाई. इसके पीछे एक दिलचस्प कहानी है. (Indigo Success Story) ये कहानी है उधार के पैसों से शुरू की गई Indigo Airline की जो आज करोड़ों रुपये की कंपनी है और भारत की टॉप एयरलाइन है. तो चलिये जानते हैं Indigo Airline की सफलता की कहानी.

Indigo किसकी कंपनी है? (Who is Owner of Indigo Airlines?) 

सबसे ज्यादा जो सवाल लोगों के दिमाग में आता है वो यही है कि Indigo किसकी कंपनी है? Indigo का मालिक कौन है? क्या Indigo एक भारतीय कंपनी है? (Is Indigo Indian Company?) 

rakesh gangwal and rahul bhatiya

Indigo को शुरू करने वाले दो लोग थे. राहुल भाटिया और राकेश गंगवाल. राहुल भाटिया भारत में ही दिल्ली के रहने वाले हैं और राकेश गंगवाल एक अमेरिकी नागरिक हैं जो एविएशन इंडस्ट्री में कई सालों से हैं. इन दोनों ने ही अपने प्रयासों से Indigo Airline को भारत में शुरू किया. इनका सपना था कि भारत में सस्ती और छोटे रूट पर चलने वाली विमान सेवाएँ दी जाएँ. जिससे लोग Airline का उपयोग अपने सफर के लिए करें.

वर्तमान में कंपनी के दो मूल मालिक हैं. (Indigo Founder Name) जिसमें राहुल भाटिया जिनके पास कंपनी के 38 प्रतिशत शेयर हैं वहीं दूसरे राकेश गंगवाल हैं जिनके पास कंपनी के 37 प्रतिशत शेयर हैं. बाकी के शेयर से इनहोने कंपनी के लिए फंड इकट्ठा किया है.

Indigo कैसे शुरू हुई? (How Indigo Start in India?) 

Indigo की शुरुआत अचानक से ही बिना किसी अनुभव के नहीं हुई. बल्कि इसे काफी प्लानिंग के साथ सोच-समझकर शुरू किया गया.

राहुल भाटिया (Rahul Bhatiya Story in Hindi) भारत में ही दिल्ली के रहने वाले हैं. इनकी पढ़ाई कनाडा में हुई थी और ये फिर भारत आ गए. इनके पिता कपिल भाटिया का ट्रैवल एजेंसी का बिजनेस था. राहुल भाटिया अपने पिता के बिजनेस में नहीं जाना चाहते थे इसलिए दूसरे बिजनेस करने का खूब ट्राय किया लेकिन मामला जमा नहीं.

इसी बीच राहुल के पिता कपिल भाटिया बीमार पड़ गए और पिता के बिजनेस को संभालने की ज़िम्मेदारी राहुल पर आ गई. राहुल भाटिया ने अपने पिता के बिजनेस जिसका नाम ‘दिल्ली एक्स्प्रेस’ था उसे अपने हाथ में लिया. राहुल ने कंपनी का नाम ‘इंटरग्लोब इंटरप्राइजेस’ रखा और एयरलाइंस टिकट की फ्रेंचाइजी ले ली.

लंबे समय तक राहुल ने इसी सेक्टर में काम किया. वहीं दूसरी ओर राकेश गंगवाल (Rakesh Gangwal Story in Hindi) जो राहुल के अमेरिकी मित्र थे वे उनसे संपर्क में रहते थे. राकेश कई बड़ी एयरवेज कंपनियों में काम कर चुके थे और उन्हें इस सेक्टर का काफी अच्छा नॉलेज था. वे बिजनेस की बात करते तो उसमें एविएशन इंडस्ट्री का जिक्र होता ही रहता था.

उन दिनों भारत में किंगफिशर, जेट और स्पाइसजेट जैसी प्राइवेट एयर लाइंस काफी पैसा कमा रही थी और पॉपुलर हो रही थी. जिसके चलते राहुल ने राकेश के सामने एक प्राइवेट एयरलाइन को शुरू करने का प्रस्ताव रखा.

राकेश एविएशन इंडस्ट्री को अंदर से जानते थे और ये भी अच्छी तरह जानते थे कि जो प्राइवेट एयरलाइंस आज चमक रही हैं वे अंदर से काफी नुकसान झेल रही हैं. एविएशन इंडस्ट्री में काफी सारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. अच्छी तरह सोच-विचार करने के बाद राकेश ने पार्टनरशिप के लिए हामी भर दी. और इस तरह साल 2004 में ‘इंटरग्लोब एविएशन’ की शुरुआत हुई और इन्हें एयरलाइन शुरू करने का लाइसेन्स मिल गया.

indigo plane 2

Indigo की सफलता की कहानी (Indigo Success Story in Hindi) 

Indigo आज भले ही देश की सबसे बड़ी एयरलाइन हो लेकिन क्या आप जानते हैं कि Indigo उधार के पैसों पर शुरू हुई थी. इस कंपनी ने अपने लिए सबसे शुरू में उधारी पर विमान खरीदे थे. लेकिन विमान खरीदकर ये कंपनी काफी सुर्खियों में आ गई थी. जिसके चलते काफी सारे लोग इंडिगो को जानने लगे थे.

असल में कंपनी को अपनी सेवाएँ शुरू करने के लिए लाइसेन्स साल 2004 में मिल गया था लेकिन इसने अपनी सेवाएँ शुरू नहीं की थी. साल 2006 तक ये अपनी सेवाएँ शुरू नहीं कर पाये थे. क्योंकि इनके पास विमान नहीं थे. उस समय मार्केट काफी बुरे दौर से गुजर रहा था. विमान के फ्युल की कीमत आसमान छू रही थी जिस कारण किंगफिशर जैसी कंपनियाँ परेशानी का सामना कर रही थी.

इसी दौरान एक बड़ी खबर आई कि Indigo ने 100 विमान खरीदे हैं. ये विमान Indigo ने पेरिस एयर शो के दौरान एयरबस नाम की कंपनी से खरीदे थे. Indigo के पास उस समय केवल 100 करोड़ रुपये थे. एयरबस ने राकेश गंगवाल के साथ पहचान होने के कारण उधारी पर 100 विमान दिये और कंपनी चल पड़ी. 4 अगस्त 2006 से कंपनी ने अपनी उड़ान शुरू की.

Indigo ने 100 विमानों के साथ साल 2006 में अपना बिजनेस शुरू किया. लेकिन साल 2011 में कंपनी ने एक बार फिर लोगों को हैरान कर दिया. Indigo ने Airbus को 180 विमान का ऑर्डर दिया जिसके बाद कंपनी ने International Flight को भी शुरू किया.

Indigo कैसे सफल हुई? (How Indigo Success in India?) 

Indigo जिस समय भारत में लांच हुई वो समय एविएशन इंडस्ट्री के लिए मुश्किल का दौर था. ऐसे दौर में भी Indigo ने अच्छी कमाई की और सफलता हासिल की. इस सफलता के पीछे कुछ मुख्य कारण है.

1) सस्ते हवाई टिकट

Indigo जब लांच हुई तब अधिकतर विमान कंपनियाँ अमीर कस्टमर पर फोकस करती थी. वे उन्हें महंगे टिकट पर अच्छी सेवाएँ देना चाहती थी जिसके कारण हर व्यक्ति विमान के टिकट को नहीं खरीद पाता था और न उनमें सफर कर पाता था. वहीं दूसरी ओर Indigo ने अपना कस्टमर बेस उन लोगों को बनाया जो सस्ते में हवाई यात्रा करना चाहते हैं. Indigo ने अपने टिकट के दाम कम रखे और अपना कस्टमर बेस बढ़ाया. जिससे Indigo के अधिक से अधिक टिकट बिके और उसे नुकसान न के बराबर हुआ.

2) राकेश और राहुल का अनुभव

Indigo में राकेश गंगवाल और राहुल भाटिया थे. राहुल भाटिया भारत की ट्रैवल इंडस्ट्री को पहले से जानते थे. उन्हें ये अच्छी तरह पता था कि भारत के लोग किस तरह की एविएशन इंडस्ट्री चाहते हैं. वहीं दूसरी राकेश गंगवाल जो एविएशन इंडस्ट्री में लंबे समय से काम कर रहे थे और एविएशन इंडस्ट्री की नस-नस को जानते थे. राकेश गंगवाल अपने अनुभव पर 100 विमान उधारी पर Indigo के लिए लेकर आए थे. जो अपने आप में एक बहुत बड़ी बात है.

indigo plane 4

3) भारत के शहरों को जोड़ा हवाई मार्ग से

Indigo की सफलता का तीसरा और प्रमुख कारण ये है कि Indigo ने शुरुआत में अपनी सेवाओं को भारत के अंदर दिया. उसने International flight पर अपना फोकस शुरू में कम रखा. International Flight का खर्च काफी ज्यादा है और ये काफी महंगी भी होती है. और Indigo को एकदम से इतने कस्टमर मिलना भी काफी मुश्किल हो जाता क्योंकि एविएशन इंडस्ट्री में पहले से ही दिग्गज विमान कंपनियाँ अपने पैर जमा चुकी थी. ऐसे में Indigo ने भारत के प्रमुख शहरों को हवाई मार्ग से जोड़ने का काम किया और कम कीमत पर लोगों को हवाई यात्रा देने का सपना पूरा किया.

4) हवाई यात्रा का सपना पूरा किया

Indigo ने अपना बिजनेस तो पूरा किया ही साथ ही लोगों का सपना भी पूरा किया. हवाई जहाज में घूमना एक मध्यमवर्गीय और गरीब परिवार के लिए केवल सपना ही होता है. लेकिन Indigo ने लोगों के इस सपने को पूरा किया और उन्हें सस्ती हवाई यात्रा दी. इस वजह से जो लोग कभी हवाई जहाज में यात्रा करने का सपना देखते थे Indigo ने उसे पूरा किया. इस वजह से Indigo का कस्टमर बेस बहुत तेजी से बढ़ा.

Indigo सिर्फ एक छोटी-मोटी कंपनी बनकर नहीं रही. Indigo को आगे बढ़ाने के लिए राहुल भाटिया और राकेश गंगवाल Investment लेकर आए. जिससे कंपनी की Valuation बड़ी और कंपनी को शेयर मार्केट में जाने का मौका मिला. जब कंपनी का IPO आया तो कंपनी को और भी फायदा हुआ और कंपनी के पास आगे बढ़ने के लिए बहुत सारा पैसा आया. जिससे कंपनी ने International सेक्टर पर भी फोकस किया.

Indigo विवाद क्या है? (Indigo Controversy Detail in Hindi) 

दो दोस्तों के द्वारा शुरू की गई कंपनी अब विवाद के दौर में चल रही है और इसकी वजह भी ये दोनों दोस्त ही हैं.

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक कंपनी में दोनों की हिस्सेदारी बराबर की है लेकिन इस पर ज्यादा कंट्रोल राहुल भाटिया का है. राहुल भाटिया के पास कंपनी में तीन स्वतंत्र निदेशक रखने का अधिकार है जबकि राकेश गंगवाल के पास केवल एक स्वतंत्र निदेशक रखने का अधिकार है. माना जा रहा है कि यही बात इस विवाद की जड़ है.

साल 2019 में रोनोजॉय दत्ता को राकेश गंगवाल के द्वारा कंपनी में नियुक्त किया गया था जिसके बाद से राहुल भाटिया खुश नहीं थे. दोनों के बीच मनमुटाव के कारण कंपनी के बोर्ड ऑफ मेम्बर में से काफी लोगों ने इस्तीफा दिया था. दोनों के बीच चल रहे विवाद का असर इनके इनवेस्टमेंट पर भी पड़ रहा है. जिसके चलते कई इन्वेस्टर ने अपने हाथ इनकी कंपनी से खींच लिए हैं.

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कंपनी के दोनों मालिकों के बीच ये विवाद चल रहा है और दोनों कानूनी लड़ाई लड़ने के लिए तैयार हैं. देश की सबसे बड़ी एयरलाइन का भविष्य आगे चलकर क्या होगा ये समय बताएगा. लेकिन वर्तमान में Indigo देश के सबसे ज्यादा पैसेंजर वाली एयर लाइन है और ये कंपनी की मेहनत का परिणाम है. आज भी Indigo में भारत के 50 प्रतिशत हवाई यात्री सफर करते हैं.

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