भारत में बिजनेस की बात हो रही हो और रतन टाटा का नाम न आए. ऐसा हो नहीं सकता. Ratan Tata देश के ऐसे बिजनेसमेन हैं जिन्हें भारत रत्न दिलाने के लिए सोशल मीडिया पर जोरदार आवाज उठाई गई थी. वैसे उठाई रतन टाटा एक महान बिजनेसमेन हैं जिनहोने देश की खातिर काफी कुछ किया है. रतन टाटा की महानता से जुड़े काफी काफी किस्से हैं जो आपको इस लेख में पढ़ने मिलेंगे.
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रतन टाटा प्रारम्भिक जीवन | Ratan Tata Jivani
Ratan Tata का जन्म 28 दिसंबर 1937 (Ratan Tata Birth Date) में गुजरात के सूरत में हुआ था. इनके पिता नवल टाटा (Ratan Tata Father) तथा माता सोनू टाटा (Ratan Tata Mother) थीं. इनके माता-पिता के बीच तलाक हो गया था जिस वजह से रत्न टाटा अपनी दादी नवाजबाई टाटा के साथ रहा करते थे. वे ही उनका पालन-पोषण करती थीं. रतन टाटा के पिता ने सिमोन टाटा (Ratan Tata Step mother) से दूसरी शादी की थी. नवल टाटा ‘टाटा ग्रुप’ के संस्थापक जमशेद जी टाटा के दत्तक पुत्र हैं.
रतन टाटा शिक्षा | Ratan Tata Education
रतन टाटा की एजुकेशन की बात करें तो रतन टाटा ने अपनी शुरुवाती पढ़ाई मुंबई में रहकर कैंपियन स्कूल में की थी. इसके बाद इनहोने अपनी पढ़ाई मुंबई के कैथेड्रल और जॉन स्कूल से की थी. साल 1955 में रतन टाटा ने न्यूयॉर्क के Riverdale Country School से ग्रेजुएशन पूरा किया था. इसके बाद साल 1959 में उन्होने Cornell University से Architecture में Degree हासिल की. साल 1975 में रतन टाटा ने Harvard Business School में सात सप्ताह का Advanced Management Program अटेण्ड किया था.
Ratan Tata Career
रतन टाटा ने अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद कहीं और नौकरी करने से अच्छा घर के बिजनेस को आगे बढ़ाने पर ध्यान दिया. साल 1971 में वे NELCO में Director IN charge के रूप में नियुक्त हुए. उस समय कंपनी की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी इसलिए उन्होने कंपनी की हिस्सेदारी को बाजार में बेचने का निर्णय लिया. पहले इसकी बाजार में हिस्सेदारी 2 प्रतिशत थी जो रतन टाटा के सुझाव के बाद 20 प्रतिशत कर दी गई. सब कुछ अच्छा चल ही रहा था कि देश में आपातकाल लग गया और कंपनी आर्थिक मंडी का शिकार हुई. इस कारण से यूनियन भी हड़ताल करने लगे. इसके बाद NELCO को बंद करना पड़ा.
इसके बाद साल 1977 में टाटा ग्रुप की मिल ‘Empress Mill’ को उन्हें सौपा गया. Empress Mill एक ऐसी बिजनेस यूनिट थी जो टाटा ग्रुप के लिए एक बीमार बिजनेस यूनिट थी. मतलब इस मिल से टाटा ग्रुप को कोई फायदा नहीं हो रहा था. रतन टाटा ने इसमें आधुनिकीकरण पर पैसा खर्च करने के लिए कहा लेकिन टाटा ग्रुप ने इसमें लगाने पर इच्छा नहीं जताई. इस वजह से साल 1986 में इस मिल को बंद करना पड़ा. बाद में रतन टाटा ने कहा था कि यदि इस मिल में 50 लाख रुपये का निवेश किया जाता तो ये मिल चलती रहती.
रतन टाटा को इसके बाद भी टाटा ग्रुप की कई कंपनियों की ज़िम्मेदारी दी गई. लेकिन साल 1991 में जब जेआरडी टाटा ने टाटा ग्रुप के अध्यक्ष का पद छोड़ा तो उन्होने रतन टाटा को अपना उत्तराधिकारी बनाया. जिसके बाद से रतन टाटा ने टाटा ग्रुप को नई ऊंचाइयों पर लाकर खड़ा किया. रतन टाटा ने कई नई कंपनियों को शुरू किया. अपनी कंपनियों को न्यूयॉर्क स्टॉक एक्स्चेंज में लिस्ट किया. टाटा ग्रुप में कई सारे बदलाव किए. जिसकी वजह से टाटा ग्रुप आज बहुत बड़े आकार में देश और विदेश में काम कर रहा है. रतन टाटा अभी तक कई सारी कंपनियों में निवेश कर चुके हैं. वे छोटे स्टार्टअप से लेकर बड़े बिजनेस तक सभी को आगे बढ़ाने के लिए सपोर्ट करते हैं. हालांकि वे अब टाटा समूह के सभी कार्यकारी ज़िम्मेदारी से सेवा निवृत्त होकर एक रिटायर लाइफ जी रहे हैं.
Ratan Tata Love Story
कई लोग रतन टाटा की पत्नी (Ratan Tata Wife name) का नाम जानना चाहते हैं तो आपको बता दें कि रतन टाटा ने अभी तक शादी नहीं की है. 80 साल से भी ज्यादा उम्र के रतन टाटा अभी भी अविवाहित हैं. लेकिन ऐसा नहीं है कि उन्होने कभी शादी या प्यार करने की कोशिश नहीं की. साल 1962 में जब रतन टाटा अमेरिका में अपनी दादी के साथ रहा करते थे तब उन्हें एक अमेरिकी लड़की से उन्हें प्यार हुआ था. वे एक गंभीर रिश्ते में थे और शादी करना चाहते थे. लेकिन तभी उन्हें भारत आना पड़ा. उस समय भारत और चीन के बीच युद्ध चल रहा था. ऐसी स्थिति में उनकी प्रेमिका भारत नहीं आ सकी. बाद में उनकी प्रेमिका ने किसी और से शादी कर ली. इसके बाद भी रतन टाटा की ज़िंदगी में कई लड़कियां आई जिनके साथ उन्होने गंभीरता से रिश्ता निभाने की कोशिश की. लेकिन उनके सामने ऐसी परेशानियाँ खड़ी हो गई कि वे शादी नहीं कर पाये. आज भी वे किताबों से भरे एक बैचलर फ्लैट में रहते हैं.
सम्मान और पुरस्कार
रतन टाटा को कई सारे पुरस्कार और सम्मान दिये गए हैं.
– 26 जनवरी 2000 को रतन टाटा को पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था.
– 26 जनवरी 2008 को उन्हें पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था.
– 14 फरवरी 2008 को उन्हें NASSCOM Global Leadership Award से सम्मानित किया गया था.
– साल 2004 में उन्हें चीन के Hangzhou में मानद आर्थिक सलाहकार की उपाधि से सम्मानित किया गया है.
– लंदन के School of Economics में उन्हें Doctorate की उपाधि दी गयी थी.
– नवंबर 2007 में fortune magazine में उन्हें बिजनेस के 25 सबसे प्रभावशाली लोगों की लिस्ट में शामिल किया गया था.
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रतन टाटा काफी सरल जीवन जीने वाले व्यक्ति हैं. उनके जीवन का उद्देश्य टाटा ग्रुप को आगे लेकर जाना तो है ही लेकिन देश सेवा करना भी उनका प्रमुख उद्देश्य है. वे टाटा ग्रुप के साथ काम करने वाले हर व्यक्ति का बहुत ख्याल रखते हैं. उन्हें काफी तरह की सुविधाएं देते हैं. इसके अलावा जब देश के लिए कुछ करने का मौका आता है तो रतन टाटा पीछे नहीं हटते हैं. जब देश पर कोरोना जैसी महामारी का संकट मंडराया था तब रतन टाटा ने 1500 करोड़ रुपये की आर्थिक मदद देश को दी थी. वहीं ताज होटल पर हुए अटैक के समय उन्होने होटल के कर्मचारियों की हर संभव मदद तो की ही साथ ही होटल के बाहर दुकान लगाने वालों को भी मदद की. इसलिए रतन टाटा को भारत रत्न दिलाने की मांग ज़ोरों-शोरों से उठी थी.