जब आप किसी कंपनी में नौकरी पर जॉइन होते हैं तो आपको सैलरी देने के लिए कंपनी अपनी ओर से किसी दूसरी बैंक में आपका Salary Account खुलवाती है. तब आप भी सोचते होंगे की Salary Account Kya hai? सैलरी अकाउंट के क्या फायदे हैं?
किसी नई नौकरी पर जॉइन होते समय आपको नया सैलरी अकाउंट खुलवाने के लिए कहा जाता है जबकि पहले से आपका सेविंग अकाउंट होता है लेकिन कंपनी उसका उपयोग नहीं करती है. तब आपके दिमाग में भी सवाल आता होगा की सैलरी अकाउंट में ऐसा क्या है जो सेविंग अकाउंट में नहीं है.
सैलरी और सेविंग अकाउंट में क्या अंतर है? सैलरी अकाउंट के क्या फायदे हैं? सैलरी अकाउंट बंद कैसे करवाएं? इस तरह के सभी सवालों के जवाब आपको यहाँ मिलने वाले हैं.
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सैलरी अकाउंट क्या है? What is Salary Account?
सैलरी अकाउंट ऐसा अकाउंट है जिसे नौकरीपेशा लोग ही खुलवा सकते हैं. सैलरी अकाउंट आप अपनी मर्जी से नहीं खुलवा सकते. इसके लिए आप जिस संस्थान में कार्य कर रहे हैं उनकी अनुमति होना बेहद जरूरी है.
मतलब आपकी कंपनी के ऑर्डर पर ही बैंक द्वारा आपका सैलरी अकाउंट खोला जाता है. अगर आप किसी कंपनी में काम नहीं कर रहे हैं तो आपका कोई सैलरी अकाउंट नहीं खुल सकता. ये ऐसा अकाउंट होता है जिसमें हर महीने आपकी सैलरी आती है.
सैलरी अकाउंट वैसे तो नॉर्मल सेविंग अकाउंट की तरह होता है लेकिन इसके कई सारे फायदे भी हैं जो आपको सेविंग अकाउंट में नहीं मिलते हैं.
सेविंग अकाउंट और सैलरी अकाउंट में क्या अंतर है?
What is the difference between savings account and salary account? सेविंग अकाउंट और सैलरी अकाउंट दोनों दिखने में एक ही तरह है और दोनों के कार्य भी एक जैसे हैं लेकिन फिर भी सेविंग अकाउंट और सैलरी अकाउंट के बीच कुछ अंतर हैं. इन दोनों को एक जैसा कहना सही नहीं होगा.
सेविंग अकाउंट कोई भी व्यक्ति खुलवा सकता है चाहे वह किसी कंपनी में काम कर रहा हो या नहीं हो. आप सेविंग अकाउंट अपनी मर्जी से किसी भी बैंक में खुलवा सकते हैं.
वहीं दूसरी ओर सैलरी अकाउंट एक ऐसा अकाउंट होता है जिसमें हर महीने आपकी सैलरी आती है. इसे आप अपनी मर्जी से किसी भी बैंक में नहीं खुलवा सकते हैं.
सैलरी अकाउंट को उसी बैंक के साथ खुलवाया जा सकता है जिसके साथ आपकी कंपनी का टाय -अप हो. कंपनी जब अपनी अनुमति देती है तभी आप सैलरी अकाउंट खुलवा सकते हैं.
सैलरी अकाउंट के लिए जरूरी दस्तावेज Documents Required for salary account
सैलरी अकाउंट खुलवाने के लिए भी आपको सेविंग अकाउंट की तरह कुछ जरूरी दस्तावेज की जरूरत होती है.
1) पहचान संबंधी प्रमाण पत्र जैसे आधार कार्ड, वोटर आइडी कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस आदि.
2) निवास संबंधी प्रमाण पत्र जैसे बिजली बिल, वोटर आइडी कार्ड, आधार कार्ड आदि.
3) मोबाईल नंबर
4) पासपोर्ट साइज फ़ोटो
5) कंपनी का अनुमति पत्र
इन सभी दस्तावेज के साथ आप अपना सैलरी अकाउंट आपकी कंपनी वाले बैंक में खुलवा सकते हैं.
वैसे आपको सैलरी अकाउंट खुलवाने के लिए कहीं जाने की जरूरत नहीं पड़ती है. बैंक के कर्मचारी खुद कंपनी या ऑफिस आकर आपके दस्तावेज ले जाते हैं और आपका अकाउंट ओपन कर देते हैं. आजकल तो तुरंत आपको ATM और चेकबुक दे दी जाती है.
सैलरी अकाउंट के फायदे (Benefits of Salary Account)
सैलरी अकाउंट के कई सारे फायदे होते हैं.
1) आपकी सैलरी आपके अकाउंट में तुरंत ट्रांसफर हो जाती है. सैलरी पाने के लिए आपको चक्कर नहीं लगाने पड़ते हैं. सब कुछ अपने आप ऑनलाइन तय तारीख पर हो जाता है.
2) सैलरी अकाउंट खुलवाने के लिए आपको किसी तरह का कोई पैसा नहीं देना पड़ता है. इसके अलावा न ही शुरुआत में आपको कोई रकम अपने अकाउंट में जमा करके रखनी पड़ती है. ये जीरो अकाउंट की तरह होता है जहां आपको मिनिमम बैलेंस मेंटेन रखने की जरूरत नहीं होती है.
3) सैलरी अकाउंट खुलवाने के साथ ही आपको फ्री पासबुक, एटीएम कार्ड और चेक बुक मिलती है. इन सभी चीजों की मदद से आप पैसों का लेनदेन कर सकते हैं. इसके अलावा अपने खाते के लेनदेन पर नजर भी रख सकते हैं.
4) सैलरी अकाउंट में सभी चीजों के साथ-साथ आपको नेट बैंकिंग की सुविधा भी मिलती है. इसकि मदद से आप किसी को भी ऑनलाइन पेमेंट कर सकते हैं और उनसे पेमेंट ले भी सकते हैं. इसके अलावा आप खुद के रिचार्ज कर सकते हैं, बिल भर सकते हैं.
5) सैलरी अकाउंट में हर महीने आपकी सैलरी आती रहती है और इस बात की जानकारी बैंक को भी रहती है. इस वजह से जिस बैंक में आपका सैलरी अकाउंट होगा वे आपको अच्छे लोन और क्रेडिट कार्ड ऑफर करते रहेंगे.
6) सैलरी अकाउंट में यदि आप पैसा जमा करके रखते हैं तो आपको उस पैसे पर सेविंग अकाउंट की तरह ही ब्याज भी मिलता है. ये ब्याज आपके अकाउंट के बैलेंस के हिसाब से मिलता है.
7) सैलरी अकाउंट में आपको Auto Sweep की सुविधा भी मिलती है. इसे शुरू करके आप अपने सैलरी अकाउंट पर FD की तरह ब्याज पा सकते हैं. लेकिन इसके लिए आपके खाते में कम से कम 35 हजार रुपये होना चाहिए.
5) सेविंग अकाउंट की तरह ही आप अपने सैलरी अकाउंट को Life Insurance Corporation (LIC) जैसी बचत योजनाओं और म्यूचूअल फंड जैसी निवेश योजनाओं के साथ जोड़ सकते हैं. ताकि समय-समय पर आपके अकाउंट से पैसा कटता रहे.
6) सैलरी अकाउंट में आपको ओवरड्राफ्ट की सुविधा भी मिल जाती है. लेकिन इसके लिए आपका अकाउंट काम से काम 6 महीने पुराना होना चाहिए. आप अपने अकाउंट में दो महीने की सैलरी के बराबर ओवरड्राफ्ट ले सकते हैं. इसे आपको अगले 6 महीने के भीतर जमा भी करना होता है.
नौकरी छोड़ने पर सैलरी अकाउंट का क्या होता है?
आपने किसी कंपनी में दो से तीन साल काम किया और उसके बाद आपने खुद का बिजनेस करने के लिए नौकरी ही छोड़ दी तो ऐसे में आपके सैलरी अकाउंट का क्या होगा? ये सवाल आपके दिमाग में भी होगा.
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अगर भविष्य में कभी ऐसा होता है तो बैंक 3 महीने के भीतर आपके सैलरी अकाउंट को सेविंग अकाउंट में बदल देती है. यदि आप अकाउंट को बंद करवाना चाहते हैं तो आपको बैंक की ब्रांच पर जाकर Account Closure Form भरकर अपना अकाउंट बंद करवा लेना चाहिए. ताकि आप कम से कम अकाउंट को अच्छी तरह मेन्टेन कर पाएं.