इस भागदौड़ भरे जीवन में, Technology के इस बढ़ते दौर में आज सब कुछ पाना संभव हैं, लेकिन अगर कुछ संभव नहीं है तो वह है पुराने दिनों को वापस दोहराना. हालांकि विज्ञान जिस तरह दिन प्रतिदिन नए अविष्कार कर रहा है उससे हो सकता है भविष्य में कुछ ऐसा नया आविष्कार (Invention) हो जाए जिससे हम भूतकाल में जा सके और अपने उन पुराने दिनों की यादों को एक बार फिर से जी सके.
लेकिन फिलहाल तो ऐसा संभव नहीं हुआ हैं. ऐसे में आज हम आपको अपने बीतें दिनों की ऐसी वस्तुओं के बारें में बताएंगे जिससे अपकी पुरानी यादें ताजा हो जाएंगी. अगर आपको अपने बचपन की बाते याद हो तो आपकों STD बूथ तो याद होगा. अगर अपको STD बूथ नहीं याद तो हम आपको उसकी याद जरुर दिला देंगे. तो आइये बात करते है, पुराने जमाने के कुछ ऐसी ही वस्तुओं के बारे में?
STD बूथ का नाम आते ही आपके दिमाग में एक पीले रंग का बॉक्स आ जाता होगा, जिसपर आप खड़े होकर अपने अपनों से टेलीफोन के माध्यम से बात करते थे. इन बॉक्स से लोगों के कई यादगार लम्हे जुड़े हैं. यही वो जरिया होता था, जिसके माध्यम से दो प्रेमी एक दुसरे से गुटरगू किया करते थे, यही वो साधन होता था, जिसके माध्यम से आपके दूर के रिश्तेदार आपसे संपर्क किया करते थे.
इसी के माध्यम से एक दुसरे के हाल चाल के विषय में पता लगाया जाता था. वैसे तो STD बूथ में टेलीफोन ही लगे होते थे, इन टेलीफोन में आप लोकल और एसटीडी कॉल कर सकते थे. इसका उपयोग करने के लिए इससे आपको अपने किसी ऐसे व्यक्ति को फोन करना होता था जिसके पास भी टेलीफोन उपलब्ध हो, जैसे ही फोन लगता आपकी बाते शुरू हो जाती और जब आप बात पूरी करने के बाद फोन रखते थे, तो एक लम्बी सी रशीद उस टेलीफोन से जुडी मशीन से निकलती. इस रशीद में आपके कॉल का समय और कॉल पर लगे पैसे प्रिंट हुए रहते थे. यह सेवा काफी महंगी होती थी. इसके माध्यम से बात करने में काफी ज्यादा खर्च आता था. STD के साथ में PCO भी अपने इस पीले रंग के बॉक्स पर लिखा देखा होता.
इसके लिए आपको बॉक्स में एक अलग तरह का टेलीफोन नजर आता होगा, जिसमे आप एक रूपए का सिक्का डालकर किसी को कॉल लगाते थे और फिर फोन कॉल उठाये जाने के बाद इस डब्बे में हर 1 मिनट बाद आपको एक सिक्का डालने की आवश्यकता पड़ती थी. यह काफी मजेदार हुआ करता था. लेकिन समय के साथ स्मार्टफोन के आने से STD बूथ लुप्त होते गए और उसके साथ STD और PCO की बात भी ख़त्म होती चली गई. लेकिन आज भी कभी जब हमें उसे पीले रंग के बॉक्स की याद आ जाती है, तो चेहरे पर एक मुस्कान सी आ जाती है. ये तो हुई एसटीडी बॉक्स की बात, अब हम बात करेंगे एक और विलुप्त होते इलेक्ट्रिक आइटम के बारे में जो कि 90 के दशक में काफी ज्यादा चलन में था. हम बात कर रहे है ब्लैक एंड व्हाईट टीवी (Black & White TV) की. आखिर कहा गई ये टीवी और क्या था इनमे ख़ास.
जब हम STD और पीसीओ के जमाने में अपनों से बात कर रहे थे, उस समय रेडियों का स्थान टीवी ले चूका था. यह एक ऐसा साधन था जब लोगों को देश दुनिया की खबरे सुनाता ही नहीं अपितु दिखता भी था. छोटे से डब्बे के अकार का यह टीवी सफेद और काले रंग में ही हमें सारे चलचित्र दिखाता था. शुरू में तो ये आयताकार हुआ करते थे. साथ ही इनके दोनों ओर सटर गेट भी हुआ करते थे. जिन्हें टीवी बंद करने के साथ बंद कर दिया जाता था. यह वो समय था जब दूरदर्शन भी शुरू हो चुका था, और इन्ही ब्लैक एंड व्हाइट टीवी पर एंटिना के माध्यम से प्रसारित हुआ करता था. यह टीवी काफी मायनों में ख़ास हुआ करती थी, यह अभी के मुकाबले काफी सस्ती हुआ करती थी. इसके बावजूद ही कुछ लोगों के घर में ही आपको यह देखने को मिलती थी.
समय के साथ साथ इन TV का स्थान कलर टीवी ने ले लिया, अब यह मार्केट से पूरी तरह गायब हो चुकी है. अब लोग LED टीवी का उपयोग करने लगे हैं, जो वजन में कम लेकिन फीचर में ज्यादा आकर्षक है. ऐसे में आपको ब्लैक एंड व्हाइट टीवी बिलकुल नहीं दिखाई देगे. अगर यह मिली भी तो उसी के पास मिलेगी, जो एंटिक चीजों को इकठ्ठा करने का शौकीन हो. टीवी की बात के बाद अब हम बात करेंगे एक और ऐसे आईटम की जो मार्केट से पूरी तरह गायब हो गया है. हम बात कर रहे है VCR की. आखिर समय के साथ VCR कहा गायब हो गए? इनका इस्तेमाल एका एक बंद कैसे हो गया?
जैसा हमने आपको ऊपर बताया कि ब्लैक एंड व्हाइट टीवी का स्थान कलर टीवी ने ले लिया. वहीं एक ऐसा समय भी आया जबी केवल अकेली टीवी से काम नहीं चलता था. बल्कि उसके साथ VCR का चलन भी शुरू हो चुका था. यह वो समय था जब फिल्मों को सिनेमा हॉल में देखने जाने के लिए हमारे पास पैसे नहीं होते थे. ऐसे में हमारें मौहल्ले के सारे बच्चे पैसे इकठ्ठा करके VCR किराए से लेकर आते थे. फिर जुगाड़ शुरू होती थी किसी एक दोस्त के घर इसे लगाने की जिसके यहां रंगीन टीवी हो.
फिर शुरू होता था रात भर VCR (Videocassette Recorder (VCR) पर फिल्म देखने का सफर. यह कोई आसान बात नहीं थी, भारी भरकम VCR को टीवी के पास रखना और फिर उसमे कसेट लगाकर फिल्म को देखना. हलांकि इसमें पिक्चर क्वालेटी इतनी अच्छी नहीं होती थी, किन्तु उस समय फिल्मों को देखने के कुछ एक साधनों में से यह सबसे सस्ता और किफायती साधन हुआ करता था. लेकिन समय के साथ यह भी अपनी पहचान खोता चला गया. धीरे धीरे VCR के स्थान पर CD प्लेयर और डीवीडी प्लेयर मार्केट में आ गए. यह वो दौर था जब कंप्यूटर अपने पैर पसार चूका था. Computer के विषय में जानने वाला हर व्यक्ति सीडी और डीवीडी के विषय में पूरी जानकारी रखता था. लेकिन क्या थे डीवीड और सीडी प्लेयर? इनके लुप्त होने का कारण क्या है?
क्यों गायब हो गए CD Player और DVD Player
आपने अब तक ये तो जाना की VCR धीरे धीरे मार्केट से पूरी तरह गायब हो चुके थे. उनके स्थान पर CD प्लेयर और DVD प्लेयर मार्केट में काफी ज्यादा लोकप्रिय होने लगे. धीरे धीरे हर व्यक्ति CD प्लेयर की ओर आकर्षित होने लगा. इसके पीछे का कारण था इनका सस्ता होना. शुरूआती दौर में CD Player की कीमत 5 से 6 हजार थी, तो वहीं डीवीडी प्लेयर का प्राइस 8 से 9 हजार रूपए के करीब था. लेकिन इस बढती प्रतिस्पर्धा के दौर में हर बड़ी कम्पनी अपने सीडी प्लेयर और DVD Player मार्केट में उतार चुकी थी. हालात ऐसे थे कि एक हजार से लेकर 3 हजार रूपए तक में आपको अच्छी कंपनी के डीवीड मिल जाते थे.
वहीं सीडी की प्राइस तो और भी ज्यादा कम थी. अगर क्वालिटी की बात करें तो दोनों में ही बेहतरीन पिक्चर क्वालेटी मिलती थी. लेकिन सीडी की तुलना में डीवीडी बेहतर विकल्प था. क्योकि CD player में बार बार सीडी चेंज करने का झंझट रहता था. अगर अपने कुछ डाटा इसमें स्टोर किया है तो बार बार इसमें स्पेस की दिक्कत आती थी और आपको इसे बार बार बदलना होता था. वहीं डीवीडी में एक बार केसट लगाईं और फिर 2 तीन फ़िल्में एक साथ देखी जा सकती थी, साथ ही स्पेस ज्यादा होने के चलते आप DVD में ज्यादा डाटा रख सकते थे. एक बार आपने डीवीडी प्लेयर में डीवीडी लगाई , बस फिर आपको बार बार इसे बदलने की आवश्यकता ही नहीं. लेकिन कहते है न कि किसी भी चीज का एक समय होता है, उसी तरह डीवीडी प्लेयर और सीडी प्लेयर की जरुरत कंप्यूटर और स्मार्ट टीवी के आने से ख़त्म हो गई.
आज हर कोई कंप्यूटर में ही अपने डाटा को रखता है, साथ ही पेन ड्राइव भी डाटा के स्टोर करने के लिए एक बेहतरीन विकल्प है. जिसे कभी भी स्मार्ट टीवी या कंप्यूटर में लगाकर आप उपयोग में ला सकते है. ऐसे में सीडी प्लेयर और DVD player की जरुरत पूरी तरह से ख़त्म हो गई है. ये तो हमने बात की सीडी प्लेयर और डीवीडी प्लेयर की. अब हम बात करते है रेडियों बॉक्स की. रेडियों बॉक्स डीवीडी और सीडी प्लेयर से भी पुराने है.
आइये जानत हैं रेडियों बॉक्स और उनसे जुड़े समय की बात. कैसे रेडियों अपने जमाने में आम लोगों के लिए एक जरुरत बन गया था. लेकिन समय के साथ अपनी पहचान खोता चला गया. कैसे ख़त्म हुआ रेडियों बॉक्स का सफ़र? कैसे मार्केट से गायब हो गए रेडियों बॉक्स.
कैसे गायब हो गए रेडियों बॉक्स
बात उन दिनों की है जब हम हम आजादी की लड़ाई लड़ रहे थे, तारीख थी 23 जुलाई 1927. जब रेडियों की शुरुआत भारत में हुए. यूरोप में तो यह करीब 19 वी सदी के शुरूआती दौर में आ चूका था. हालांकि इसे लोकप्रियता मिली भारत से. भारत में शुरुआती दिनों में आकाशवाणी का प्रसारण हुआ करता था. जहां से लोगों के लिए विभिन्न तरह के सन्देश पहुंचाए जाते थे. शुरूआती दिनों में बॉक्स आकार के रेडियों बॉक्स हुआ करते थे. इन बॉक्स के माध्यम से फिक्वेंशी को सेट करके रेडियों सिग्नलों को केच किया जाता था.
यह काफी ज्यादा मेहनत वाला काम होता था.लेकिन फिर भी लोग बड़े चाव के साथ इसका इस्तेमाल करते थे. यह देश और दुनिया की खबरों की जानकारी देने वाला अहम साधन था. किन्तु समय के साथ सब कुछ परिवर्तित होता गया धीरे धीरे लोगों ने MP3 का स्तेमाल शुरू किया. इसमें केसट, सीडी और रेडियों तीनों एक साथ इस्तेमाल किया जा सकता था. ऐसे में MP3 ने लोगों को अपनी ओर आकर्षित किया. यह लोगों की सोच ने रेडियों बॉक्स के अस्तीत्व को धीरे धीरे समाप्त ही कर दिया.
अब Radio Box आपको शायद ही नजर आते हों. किन्तु आज भी दूर-दराज के गांव में रेडियों बॉक्स का इस्तेमाल किया जाता है. आपको हमने रेडियों बॉक्स से जुडी जानकारी तो दी लेकिन हमने आपको यहां MP3 प्लेयर के विषय में भी बताया. अब आप सोच रहे होंगे की यह क्या हैं? और आखिर MP3 Player ने जब रेडियों बॉक्स का स्थान ले लिया तो ये फिर कहा गायब हो गए. लेकिन MP3 से पहले आपको कसेट वाले टेप यानि टेप रिकॉर्डर के बारे में जानना जरुरी है. आखिर टेप रिकॉर्डर कैसे हमारे जीवन से बिलकुल गायब हो गए.
टेप रिकॉर्डर और MP3 प्लेयर बाजारों से कैसे गायब हो गए
मुझे आज भी याद है, जब स्कूल के दिनों में डांस कॉम्पीटिशन में भाग लेते समय कसेट में अपने डांस के लिए चुने गए गाने को रिकॉर्ड करवा कर लाता था. उसके बाद अपने घर पर रखे टेप रिकॉर्डर पर उसे सुनता और डांस की प्रेक्टिस करता था. हालाँकि इसे चलाने के बाद इसमें कभी कभी रील उलझ जाती थी, जिससे बड़ी परेशानी हुआ करती थी.
इसकी केसट में रील होती थी, जो रिकॉर्डर में लगाए जाने के बाद एक छोर से दुसरे छोर तक घूमती थी. लेकिन जैसा हमने कहा बदलते समय में हर चीज बदल जाती है, उसी तरह टेप रिकॉर्डर का युग भी धीरे धीरे समाप्त हो गया उसका स्थान ले लिया. MP3 प्लेयरों ने. 3 खूबियों के साथ आने वाले MP3 प्लेयर में आप केसट, सीडी और रेडियों तीनों का इस्तेमाल कर सकते थे.
यह रेडियों और टेप की खूबियों के साथ गाने को कही भी सुनने की सुविधा भी देता था. लेकिन धीरे धीरे स्मार्ट फोन के चलन, Computer और Laptop के आ जाने के बाद ये सभी वस्तुओं ने अपने अस्तित्व को ही खो दिया. अब अगर आप बाजार में इन Electronic items को खोजने की कोशिश भी करेंगे तो आपकों कुछ नहीं मिलेगा. बस मिलेगा तो आपको ऐसा पीस जिसे आप अपने घर में शो के लिए रख पायें.
उम्मीद हैं पुराने इलेक्ट्रोनिक आइटमों पर हमारा यह आर्टिकल आपको पसंद आया होगा. समय काफी तेज गति से बदल रहा है और उसी तेज गति से हमारी टेक्नोलॉजी भी अपने नए नए अविष्कारों के साथ में हा सब से रूबरू हो रही है. ऐसे में आने वाले समय में कुछ और ऐसा इलेक्ट्रोनिक आइटम बाजार में आ जायेगा, जिससे हम हमारे वर्तमान में उपयोग की जा रही वस्तुओं को भी पुराना समझने लगेंगे.
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