दुनिया में जब भी कोई नई बीमारी आती है तो उसके साथ WHO का नाम जरूर आता है. इस नाम को अधिकतर लोगों ने सुना है लेकिन इसके बारे में काफी कम लोग जानते हैं. काफी कम लोगों को जानकारी है कि WHO क्या है? WHO कैसे काम करता है? WHO के सदस्य कौन हैं? WHO का भारत में क्या योगदान है? अगर आप भी इन सवालों के जवाब को नहीं जानते हैं तो इस लेख के माध्यम से आपको इन सभी सवालों के जवाब मिलेंगे.
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WHO क्या है?
WHO का पूरा नाम World Health Organization है यानि विश्व स्वास्थ्य संगठन. ये स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए संयुक्त राष्ट्र की एक विशेष संस्था है जो दुनियाभर में फैली बीमारियों पर पैनी नजर रखती है और उन बीमारियों से कैसे बचा जाए या फिर कैसे उन्हें रोका जाए इस पर काम करती है. कोरोना वायरस के दुनियाभर में फैल जाने पर डबल्यूएचओ ने पूरी दुनिया को इसके बारे में सूचित किया और इससे बचाव के विकल्प ढूँढने पर काम किया.
– डबल्यूएचओ का मुख्यालय स्विट्जरलैंड के जिनेवा में है.
– भारत समेत कुल 194 देश इस संस्था के सदस्य हैं.
– ये एक अंतर सरकारी संगठन है जो अपने सदस्य राष्ट्रों के स्वस्थ्य मंत्रालय के साथ मिलकर काम करता है.
– WHO ने अपने कार्य को 7 अप्रैल 1948 से शुरू किया था और अब 7 अप्रैल को विश्व स्वास्थ्य दिवस मनाया जाता है।
– WHO अंतर्राष्ट्रीय स्वास्थ्य संबंधी कार्यों पर निदेशक एवं समन्वय प्राधिकरण के रूप में काम करता है.
– ये सरकार के अनुरोध पर स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करने के लिए सहायता प्रदान करता है.
– डबल्यूएचओ ऐसे वैज्ञानिक और पेशेवर समूह के मध्य सहयोग को बढ़ावा देता है जो स्वास्थ्य प्रगति के क्षेत्र में काम करते हैं.
WHO का संचालन कैसे होता है?
डबल्यूएचओ कोई एक संस्था नहीं है बल्कि इसके अंतर्गत कई संस्थाएं हैं जो स्वास्थ्य के क्षेत्र में काम करते हैं. इसका संचालन निम्न संस्थाओं के जरिये होता है.
विश्व स्वास्थ्य सभा
ये सभा सदस्य राष्ट्रों का प्रतिनिधित्व करने वाले प्रतिनिधियों से बनी होती है. प्रत्येक सदस्य का प्रतिनिधित्व अधिकतम तीन प्रतिनिधियों द्वारा किया जाता है. यानि एक देश से अधिकतम तीन प्रतिनिधि हो सकते हैं जिनमें से एक को मुख्य प्रतिनिधि के रूप में नामित किया जाता है. प्रतिनिधि को स्वास्थ्य के क्षेत्र में उनकी तकनीकी क्षमता के आधार पर सबसे योग्य व्यक्तियों में से चुना जाता है. इसकी बैठक नियमित रूप से वार्षिक सत्र में होती है.
इस सभा का काम डबल्यूएचओ की नीतियों का निर्धारण करना होता है. साथ ही ये संगठन की वित्तीय नीतियों की निगरानी भी करती है एवं बजट की समीक्षा एवं अनुमोदन करती है.
सचिवालय
सचिवालय में महानिदेशक और ऐसे तकनीकी एवं प्रशासनिक कर्मचारियों को शामिल किया जाता है जो डबल्यूएचओ के लिए जरूरी होते हैं. विश्व स्वस्थ्य सभा द्वारा निर्धारित शर्तों के अनुरूप बोर्ड द्वारा नामांकन के आधार पर इस सभा के महानिदेशक की नियुक्ति की जाती है. वर्तमान में इसके महानिदेशक Dr Tedros Adhanom Ghebreyesus हैं.
डबल्यूएचओ का इतिहास
डबल्यूएचओ ने अभी तक दुनिया को कई संक्रामक रोगों से बचाने पर अपना ध्यान केन्द्रित किया है.
– डबल्यूएचओ की स्थापना के शुरुवाती वर्षों में इसने विकासशील देशों के लाखों लोगों को प्रभावित करने वाले संक्रामक रोगों पर अपना ध्यान केन्द्रित किया.
– 1960 के दशक में डबल्यूएचओ ने वर्ल्ड केमिकल इंडस्ट्री के साथ मिलकर काम किया ताकि ओनोकोसेरिएसिस और सिस्टोसोमियसिस के रोगवाहक से लड़ने में मदद मिल सके.
– 1968 से 78 के दशक में डबल्यूएचओ ने चेचक जैसी गंभीर बीमारी से निपटने पर अपना ध्यान केन्द्रित किया और इसके लिए वैक्सीन भी बनाई.
– 1980 में आयोजित संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा सभी के लिए सुरक्शित पेयजय एवं पर्याप्त उत्सर्जन निपटान के प्रावधान की घोषणा में डबल्यूएचओ ने अपना समर्थन दिया.
– डबल्यूएचओ ने दुनियाभर में कैंसर का शिकार हो रहे लोगों के लिए काफी काम किया.
– एड्स की बीमारी को रोकने के लिए डबल्यूएचओ ने काफी प्रयास किया.
WHO का भारत में योगदान
डबल्यूएचओ ने जहां दुनियाभर के देशों में कई बीमारियों को रोकने पर काम किया वहीं भारत में फैली गंभीर बीमारियों को रोकने में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया. जिस तरह कोरोना आज हमारे लिए नई बीमारी है. इससे पहले भी भारत के कई लोग नई-नई बीमारियों की चपेट में आए हैं. इनसे बचने में डबल्यूएचओ ने भारत की काफी मदद की है.
– साल 1967 में भारत में तेजी से चेचक के मामले दर्ज किए गए थे. भारत के कुल मामले विश्व के 65 प्रतिशत थे जो काफी ज्यादा थे. ऐसे समय में WHO ने चेचक उन्मूलन कार्यक्रम शुरू किया और साल 1977 तक भारत सरकार और डबल्यूएचओ ने मिलकर चेचक उन्मूलन किया.
– पोलियो कितनी गंभीर बीमारी है इस बारे में सभी जानते हैं. कुछ दशकों पहले तक काफी लोग आसानी से पोलियो ग्रस्त हो जाते थे. भारत इस बीमारी से काफी परेशान रहा लेकिन 1988 में वर्ल्ड बैंक की वित्तीय एवं तकनीकी सहायता से डबल्यूएचओ ने वैश्विक पोलियो उन्मूलन पहल शुरू की जिसका असर भारत में काफी ज्यादा दिखा. साल 2012 के पोलियो अभियान में भारत सरकार ने यूनिसेफ, WHO, बिल एंड मेलिंडा गेट्स फ़ाउंडेशन, रोटरी इंटरनेशनल और रोग नियंत्रण एवं रोकथाम केन्द्रों की साझेदारी के साथ पाँच साल से कम उम्र के बच्चों के लिए पोलियो से बचाव हेतु टीका लगवाने की आवश्यकता के बारे में सार्वभौमिक जागरूकता में योगदान दिया. जिसके बाद भारत में अब पोलियो के मामले न के बराबर हो गए हैं.
डबल्यूएचओ ने भारत में काफी ज्यादा योगदान दिया है जिसके चलते भारत अब कई गंभीर बीमारियों की चपेट से कोसो दूर है. डबल्यूएचओ एक काफी अच्छा संगठन है जो दुनियाभर के स्वास्थ्य के मामलों पर नजर रखता है और उनसे निपटने के लिए रणनीति बनाता है. कोरोना को लेकर भी डबल्यूएचओ तेजी से काम कर रहा है और वैक्सीन बनाने पर ज़ोर दे रहा है. हालांकि कई देश अपने लेवल पर भी वैक्सीन बना रहे हैं जो सफल हो रही है!
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डबल्यूएचओ सिर्फ एक संगठन नहीं है बल्कि ये दुनियाभर के लिए एक डॉक्टर के रूप में काम कर रहा है जो दुनिया को गंभीर बीमारियों से बचाने की ओर ध्यान केन्द्रित करता है.