Generations of Computers कम्प्युटर की पीढ़िया तथा उनकी प्रमुख विशेषताएं

Generations of computers and features hindi दुनिया के पहले Computer से लेकर आज तक के कम्प्युटर में हमें काफी बदलाव देखने को मिलते हैं. इनके आकार, इनकी कार्य शैली, इनके पार्ट्स, इनके सॉफ्टवेयर हर चीज आज बदल चुकी है. आज कम्प्युटर का इतना विकास हो गया है की पहले के मुक़ाबले ये काफी ज्यादा विकसित दिखाई देता है. कम्प्युटर के विकास को अलग-अलग पीढ़ियों यानि जनरेशन में बांटा गया है. ये कुल 6 जनरेशन है जिनमें आप पहले कम्प्युटर से लेकर आज तक के कम्प्युटर के सफर को जान पाएंगे.

कम्प्युटर की पहली पीढ़ी

कम्प्युटर की पहली पीढ़ी वो पीढ़ी है जिसमें दो महान लोगों ने मिलकर पहले कम्प्युटर का आविष्कार किया था. साल 1946 में जेपी एकार्थ और जॉन मोचली ने ENIAC नामक एक कम्प्युटर का आविष्कार किया था. इसमें सिग्नल को कंट्रोल करने के लिए वैक्यूम ट्यूब का इस्तेमाल हुआ था. इस कम्प्युटर का आकार बहुत बड़ा था लेकिन इसके जरिये ही कम्प्युटर की परिकल्पना साकार हुई थी. जिन वैक्यूम ट्यूब का इनमें इस्तेमाल किया जाता था वे रख-रखाव के हिसाब से सुरक्शित नहीं थे. एक तो वो गर्मी ज्यादा उत्पन्न करते थे दूसरा उनमें टूट-फूट का दर रहता था. इसकी गणना करने की क्षमता भी कम थी. पहली जनरेशन के कम्प्युटर को अब के Computer से तुलना करे तो जमीन आसमान का अंतर देखने को मिलता है. इन कम्प्युटर का साइज़ बढ़ा होने के अलावा इनमें बाइनरी भाषा का उपयोग किया जाता था. इनकी प्रमुख विशेषताएं निम्न थी.

पहली पीढ़ी के कम्प्युटर की विशेषताएं

– ये आकार में बहुत बड़े थे.

– इनमें मुख्य रूप से वैक्यूम ट्यूब या डायोड वाल्व का इस्तेमाल होता था.

– इनकी प्रोसेसिंग स्पीड काफी कम थी.

– ये मशीनी भाषा 0 तथा 1 पर काम करते थे.

– डाटा को स्टोर करने के लिए पंच कार्ड का उपयोग किया जाता था.

कम्प्युटर की दूसरी पीढ़ी

कम्प्युटर की दूसरी पीढ़ी में वैक्यूम ट्यूब के स्थान पर ट्रान्जिस्टर का प्रयोग किया जाने लगा. एक कम्प्युटर में एक साथ कई ट्रान्जिस्टर उपयोग किए जाने लगे. इससे कम्प्युटर का आकार कम हो गया तथा उनकी प्रोसेसिंग स्पीड भी काफी बढ़ गई. इनका आकार छोटा होने के कारण ये कम गर्मी उत्पन्न करते थे. इन कम्प्युटर में FORTRAN एसेम्बली भाषा के जरिये प्रोग्रामिंग की जाने लगी. दूसरी जनरेशन में ट्रान्जिस्टर का आविष्कार विलियम शॉकली और उनके सहयोगी ने किया था.

दूसरी पीढ़ी के कम्प्युटर की विशेषताएं

– इस पीढ़ी के कम्प्युटर में वैक्यूम ट्यूब के स्थान पर ट्रान्जिस्टर का उपयोग किया गया.

– इनकी प्रोसेसिंग स्पीड पहली पीढ़ी के कम्प्युटर से काफी ज्यादा थी.

– इनमें डाटा स्टोर करने के लिए मेग्नेटिक टेप का उपयोग होने लगा.

– इनमें कार्य करने के लिए असेंबली भाषा का उपयोग होता था जबकि पहली पीढ़ी के कम्प्युटर में बाइनरी भाषा का उपयोग होता था जो काफी कठिन थी.

– इस पीढ़ी में निर्मित कम्प्युटर यूनिवैक, आईबीएम 700, ATLAS थे.

कम्प्युटर की तीसरी पीढ़ी

तीसरी पीढ़ी के कम्प्युटर को क्रांतिकारी कम्प्युटर माना जाता था क्योंकि इसमें कम्प्युटर के आकार को घटाने के लिए काफी सारे प्रयास किए गए थे. तीसरी पीढ़ी के कम्प्युटर के आकार को छोटा करने के लिए इंटीग्रेटेड सर्किट का प्रयोग होने लगा जिस पर एक साथ कई ट्रान्जिस्टर लगे होते थे. इसकी मदद से कम्प्युटर की गति माइक्रो सेकेंड से नेनो सेकंड तक पहुंच गई. इस पीढ़ी में FORTRAN-II-IV, COBOL, PASCAL PL/I, BASIC, AL GOL-68 जैसी भाषाओं का विकास किया गया.

तीसरी पीढ़ी के कम्प्युटर की विशेषताएं

– इन कम्प्युटर में ट्रान्जिस्टर के स्थान पर आईसी का प्रयोग किया गया था जो ट्रान्जिस्टर से शक्तिशाली थे.
– आईसी का आकार छोटा होने के कारण कम्प्युटर का आकार भी छोटा हो गया.

– कम्प्युटर का विद्धुत सर्किट छोटा होने के कारण कम्प्युटर की प्रोसेसिंग गति काफी अधिक हो गई.

– तीसरी पीढ़ी के कम्प्युटर में कार्य करने के लिए उच्च स्तरीय भाषाओं जैसे FORTRAN, COBOL आदि का प्रयोग किया गया था.

– इस पीढ़ी के कम्प्युटर के संचालन के लिए एक ही व्यक्ति की जरूरत होती थी.

– तीसरी पीढ़ी के प्रमुख कम्प्युटर PDP series और CDC 1700 थे.

कम्प्युटर की चौथी पीढ़ी

चौथी पीढ़ी के कम्प्युटर में माइक्रो प्रोसेसर का उपयोग मुख्य रूप से होने लगा. इसमें VLSI की प्राप्ति से एक चिप पर ही 5000 ट्रान्जिस्टर और अन्य सर्किट एलीमेंट को लगाया जा सका. माइक्रोप्रॉसेसर की वजह से कम्प्युटर बहुत अधिक शक्तिशाली और फास्ट बन गया था. चौथी पीढ़ी के कम्प्युटर ही डेस्कटॉप और पर्सनल कम्प्युटर बने. इस पीढ़ी में समय को साझा करने के लिए वास्तविक समय, नेटवर्क, वितरित ऑपरेटिंग सिस्टम का इस्तेमाल किया गया. चौथी पीढ़ी के कम्प्युटर के लिए C और C++ जैसी उच्च स्तरीय भाषाओं का उपयोग किया गया.

चौथी पीढ़ी के कम्प्युटर की विशेषताएं

– इसमें छोटे-छोटे सर्किट का उपयोग किया गया जिनका आकार काफी कम था.

– इस पीढ़ी के कोंपौटर पोर्टेबल कम्प्युटर की श्रेणी में आते हैं जिनके उदाहरण Desktop Computers, नोटबुक कम्प्युटर, पाम टॉप कम्प्युटर आदि है.

– आकार छोटा होने और बड़े-बड़े उपकरणों का उपयोग न होने के कारण इनमें ऊष्मा सहन करने की क्षमता बढ़ी.

– इन्हें एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाना आसान हुआ.

कम्प्युटर की पाँचवी पीढ़ी

कम्प्युटर की पाँचवी पीढ़ी आर्टिफ़िश्यल इंटेलिजेंसी पर आधारित है. इस पीढ़ी में अल्ट्रा लार्ज स्केल इंटीग्रेशन तकनीक का इस्तेमाल किया गया जिसके परिणामस्वरूप माइक्रोप्रॉसेसर चिप पर 10 मिलियन से अधिक इलेक्ट्रोनिक उपकरणों का उपयोग किया गया. ये पीढ़ी हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर पर आधारित है. कम्प्युटर प्रोग्रामिंग के लिए C++, Java, Dot Net, VB,आदि उच्च स्तरीय भाषाओं का उपयोग होने लगा.

पाँचवी पीढ़ी के कम्प्युटर की विशेषताएं

– ये कम्प्युटर आकार में छोटे हो गए, इन्हें लाना ले जाना आसान हो गया.

– कम्प्युटर मे एआई उपस्थित है जिसके कारण ये तुरंत निर्णय ले लेते हैं.

– ये कम्प्युटर एक साथ कई सारे काम करने में सक्षम थे.

– इनकी प्रोसेसिंग स्पीड भी काफी ज्यादा थी. ये अरबों गणनाएं एक सेकंड में कर देते हैं.

– इस पीढ़ी के कम्प्युटर में सुपर कम्प्युटर शामिल है. तथा भारत का सुपर कम्प्युटर परम भी शामिल है.

आज जो कम्प्युटर हमारे सामने है वो शुरू से ऐसा नहीं था. कई सालों में इनमें कई सारे बदलाव हुए जिन्हें कम्प्युटर की पीढ़ियाँ कहा गया. इन पीढ़ियो की बदौलत कम्प्युटर आज तेज और छोटा हो गया है और इस पर काम करना भी आसान हो गया है.

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