जब भी देश में विजय माल्या या नीरव मोदी के पैसे लेकर भाग जाने जैसे केस होते हैं तो एक शब्द बड़ा प्रचलन में आता है और वो है NPA. ये शब्द वैसे आम आदमी की समझ से बाहर होता है क्योंकि उसका इससे कोई लेना-देना नहीं है लेकिन फिर भी देश के हर उस व्यक्ति को जिसका Account Bank में है या फिर जिनसे बैंक से Loan ले रखा है ये पता होना चाहिए की NPA क्या होता है?
NPA क्या होता है?
NPA का full form है Non Performing Assets हिन्दी में हम इसे गैर निष्पादित संपत्ति कहते हैं. इसे समझने के लिए मान लीजिये किसी व्यक्ति ने बैंक से 1 करोड़ रुपये का लोन लिया है. अब ये लोन उसे किश्तों में चुकाना है. उसने कुछ किश्त चुकाई इसके बाद या तो उसे घाटा हो गया या फिर वो आगे की किश्ते नहीं चुका रहा है ऐसे में बैंक के पास उसका दिया हुआ पैसा वापस नहीं आ पाएगा. अब बैंक उस व्यक्ति को नोटिस भेजेगी, Loan वापस लेने के लिए कई हथकंडे अपनाएगी उसके बावजूद भी बैंक का पैसा वापस नहीं आ पाएगा इसे कहते हैं NPA. सीधे तौर पर कहें तो ये Bank के पैसों का नुकसान है जो उसने लोन पर दिया है.
NPA कैसे बढ़ रहा है?
NPA के बढ्ने का मुख्य कारण है लोन की वापसी का ना होना. छोटे-मोटे Loan की वापसी तो बैंक आसानी से कर लेती है लेकिन बड़े-बड़े लोन बैंक को वापस लेने में काफी दिक्कत होती है. भारत में विजय माल्या और नीरव मोदी को दिया हुआ पैसा अभी तक बैंकों को वापस नहीं मिला जिससे भारतीय बैंकों का NPA तेजी से बढ़ता जा रहा है. RBI की रिपोर्ट के मुताबिक साल 2015 में 3,23,464 करोड़ रुपये था और साल 2108 में ये बढ़कर 10,35,528 करोड़ रुपये पर पहुच गया है. 3 सालों मे NPA में 3 गुना व्रद्धि दर्ज की गई है जो भारतीय अर्थव्यवस्था और Banking System के लिए अच्छी नहीं है.
NPA कितने प्रकार का होता है?
आम लोग जो NPA के बारे में थोड़ा बहुत जानते हैं वो सिर्फ ये जानते हैं की NPA अकेला होता है लेकिन NPA के भी तीन प्रकार है जो लोन वापसी ना होने की स्थिति पर निर्भर करते हैं.
सब-स्टैंडर्ड असेट्स (Sub Standard Assets) : अगर किसी व्यक्ति ने लोन लिया है और उसने एक साल या उससे कम समय तक लोन नहीं चुकाया है तो ऐसे व्यक्ति का लोन अकाउंट Sub standard assets कहलाता है.
डाउटफुल असेट्स (Doubtful assets) : जब कोई लोन अकाउंट एक साल तक Sub-standard assets की श्रेणी में रहता है तो उसके बाद वो डाउटफुल असेट्स कहलाता है.
लॉस असेट्स (Loss assets) : जब किसी लोन के वापसी की बिलकुल भी उम्मीद नहीं होती है तो उसे लॉस असेट्स कहा जाता है.
NPA रोकने के लिए सरकार क्या कर रही है?
बैंकों में वसूली के लिए उनके मुख्यालय/क्षेत्रीय कार्यालय/प्रत्येक ऋण वसूली ट्रिब्यूनल (डीआरटी) में नोडल अधिकारियों की नियुक्ति.
बैंकों द्वारा घाटे की परिसम्पत्तियों की वसूली पर जोर और परिसम्पत्ति पुनर्गठन कंपनियां संकल्प एजेंटों की नियुक्ति.
राज्य स्तर के बैंकरों की समितियों को राज्य सरकारों के साथ होने वाले मामले सुलझाने के लिए सक्रिय होने के निर्देश देना.
बैंकों में जानकारी साझा करने के आधार पर नये Loan स्वीकृत करना.
एनपीए का क्षेत्र/गतिविधि के आधार पर विश्लेषण करना आदि.
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