कौन हैं ZEE के मालिक, ZEEL-Invesco विवाद क्या है?

टीवी पर आपको कई सारे चैनल देखने को मिलते हैं. लेकिन लंबे समय से हम जिस चैनल को देखते आ रहे हैं वो Zee के चैनल हैं. ये काफी पुराने समय से हमारे साथ हैं. अगर आपने केबल टीवी का उपयोग किया हो तो केबल कनैक्शन में ज़ी के चैनलों की एक अलग ही बात है. ज़ी के काफी सारे चैनल को आप जानते हैं लेकिन क्या आप ज़ी ग्रुप को शुरू करने वाले व्यक्ति के बारे में जानते हैं. हम बात कर रहे हैं डॉ सुभाष चंद्रा (Subhash Chandra Jivani) की. जिनहोने ज़ी नेटवर्क की नीव रखी.

सुभाष चंद्रा की जीवनी (Dr. Subhash Chandra biography in Hindi) 

सुभाष चन्द्र आज भारत के बड़े बिजनेसमेन में गिने जाते हैं. लेकिन उनके लिए ये सफर आसान नहीं रहा. उनके जीवन में काफी परेशानियाँ आई और उन्होने उन परेशानियों का सामना किया और आज ये मुकाम हासिल किया.

सुभाष चंद्रा का जन्म हरियाणा राज्य के हिसार जिले के आदमपुर कस्बे में 30 नवंबर 1950 को हुआ था. वे जब छोटे थे तो उनके परिवार पर कर्ज था. जिसे चुकाने के लिए उन्हें काम करना पड़ा और उनकी पढ़ाई छूट गई. सुभाष चंद्रा ने साल 1965 में अपनी पढ़ाई छोड़कर परिवार के बिजनेस को जॉइन किया.

सुभाष चंद्रा बिजनेस (Business of Subhash Chandra Essel Group) 

सुभाष चंद्रा ने स्कूल छोड़कर बिजनेस शुरू किया. स्कूल छोड़ने के बाद उन्होने भारतीय खाद्य निगम के साथ मिलकर काम करना शुरू किया. इस दौरान उन्होने देखा कि खाद्यान्नों को स्टोर करने के प्लास्टिक पैकिंग की जरूरत पड़ रही थी. इसी जरूरत को देखते हुए इनहोने प्लास्टिक पैकेजिंग वाली एक कंपनी Essel Packaging शुरू की.

कैसे शुरू हुआ ZEEL ? (How Zee network Start?) 

Zee को शुरू करने वाले व्यक्ति सुभाष चंद्रा ही है. साल 1992 में सुभाष चंद्रा ने ज़ी टीवी को लांच किया था जो उस समय देश का दूसरा प्राइवेट टीवी चैनल था. इस नेटवर्क की शुरुवात 1 चैनल से हुई थी. लेकिन आज इनके 90 चैनल है. इनकी पहुँच आज 1.3 बिलियन लोगों तक है.

ज़ी चैनल की सफलता को देखते हुए उन्होने साल 2003 में Dish TV को लांच किया. ये एक DTH based service थी. इसे लांच करने वाला ज़ी पहला सर्विस प्रोवाइडर था.

साल 2005 में ज़ी ग्रुप ने दैनिक भास्कर के साथ मिलकर एक English Language Newspaper DNA शुरू किया. ये काफी लंबे समय तक चला. लेकिन नुकसान के चलते साल 2019 में इसे बंद कर दिया गया.

सुभाष चंद्रा ने एक तरफ जहां बिजनेस में अपनी पहचान बनाई. वहीं दूसरी तरफ उन्होने राजनीति में भी कदम रखा. वे राज्य सभा के मेम्बर रह चुके हैं. वे बीजेपी को सपोर्ट करते हैं और आरएसएस के आदर्शों को मानते हैं.

Zee-Invesco विवाद क्या है? (What is Zee-Invesco Controversy in Hindi?) 

पिछले कुछ महीनों से ZEEL और Invesco के बीच विवाद चल रहा है. Invesco एक इन्वेस्टर कंपनी है जिसने Zee में इन्वेस्ट किया था. जानकारी के मुताबिक Invesco की Zee में 18 प्रतिशत की हिस्सेदारी है. मतलब Zee के सबसे ज्यादा शेयर Invesco के पास है. वहीं सुभाष चंद्रा के पास Zee के 3.99 प्रतिशत शेयर हैं.

कुछ महीनों पहले Zee ने Sony के साथ विलय की योजना पर काम शुरू किया था. खबरों के मुताबिक Invesco कंपनी Zee का अधिग्रहण करना चाहती थी क्योंकि Zee के सबसे ज्यादा शेयर Invesco के पास है इसलिए मालिकाना हक उसे मिलना चाहिए. लेकिन Zee ने इस अधिग्रहण से बचने के लिए सोनी को 53 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचने का फैसला लिया और यहीं से शुरू हुआ ZEEL और Invesco विवाद.

Zee कंपनी के बोर्ड ऑफ मेम्बर में 6 लोग हैं और सातवे सुभाष चंद्रा के बेटे पुनीत गोयनका हैं. Invesco की मांग है की बोर्ड का पुनर्गठन किया जाए. इसमें Invesco ने पुनीत गोयनका समेत दो अन्य बोर्ड ऑफ मेम्बर को हटाने और 6 नए निदेशकों की नियुक्ति के साथ बोर्ड के पुनर्गठन की मांग की.

क्या है Invesco की मंशा? 

Invesco द्वारा Executive board की मीटिंग करके दो बोर्ड ऑफ मेम्बर और Zee के CEO पुनीत गोयनका को हटाना चाहते थे. जबकि ऐसा कोई भी बदलाव एनुअल जनरल मीटिंग में शेयरहोल्डर की अनुमति के बिना नहीं हो सकता. इस तरह के किसी भी बदलाव के लिए 75 प्रतिशत वोट की जरूरत होती है. Invesco ये सारी कार्यवाही गुप्त तरीके से करवाकर Zee का अधिग्रहण करना चाहता है. जबकि सुभाष चंद्रा और पुनीत गोयनका चाहते हैं कि ऐसा सभी शेयर होल्डर की अनुमति के साथ हो.

Zee का मालिक कौन है? (Zee Owner name) 

Zee का असली मालिक कौन है? इसका जवाब देना बहुत मुश्किल है. क्योंकि वास्तविक तौर पर देखा जाए तो सुभाष चंद्रा जो इस कंपनी को शुरू करने वाले प्रमुख व्यक्ति हैं वे खुद भी इस कंपनी के वास्तविक मालिक नहीं है.

सुभाष चंद्रा ने खुद एक इंटरव्यू में बताया कि Zee एक बहुत बड़ा नेटवर्क है. इस नेटवर्क का मालिक कोई अकेला व्यक्ति नहीं हो सकता. इसमें कई सारे लोगों का पैसा लगा हुआ है. Invesco सिर्फ इसमें एक शेयर होल्डकर की भूमिका निभाता है. Invesco के अलावा Zee के 2.5 लाख शेयर होल्डर हैं.

सुभाष चंद्रा का कहना है कि आपको कंपनी चाहिए तो आपको भारत के नियम के हिसाब से चलना होगा. आप अभी तक 18 प्रतिशत शेयर के मालिक हैं न कि कंपनी के मालिक हैं. आपको मालिक बनना है तो आप सीधे तौर पर 75 प्रतिशत शेयर का ओपन ऑफर करिए और कंपनी ले लीजिये. आपको कौन रोकता है.

ZEEL और Invesco के बीच सीधा सा ये मामला है कि Invesco की जी नेटवर्क में 18 प्रतिशत की हिस्सेदारी है. जिसके कारण वह पावर रखता है कि वह AGM बुला सके. लेकिन AGM के जरिये वह कंपनी के सीईओ पुनीत गोयनका को और अन्य बोर्ड ऑफ मेम्बर को हटाना चाहता है. तथा अपने कुछ बोर्ड ऑफ मेम्बर को वहाँ पदस्थ करना चाहता है. जिसके बाद वास्तविक तौर पर Invesco 18 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ Zee कंपनी का मालिक हो जाएगा. Zee कंपनी की कमान Invesco के हाथ में आ जाएगी.

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इन सभी पर सुभाष चंद्रा का कहना भी सही है कि यदि आपको कंपनी पर मालिकाना हक चाहिए या उसका अधिग्रहण करना है तो आप खुलेआम कीजिये. इसके लिए आप गुप्त रास्ता क्यों अपना रहे हैं? आपको कंपनी खरीदनी है तो आप 75 प्रतिशत शेयर खरीद लीजिये. इसके बाद कंपनी आपकी हो जाएगी. और इसी बात पर सारी आनाकानी हो रही है.

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