Web Security Kya hai, वेब हमले से कैसे बचे? 

इंटरनेट के जरिए हमारे स्मार्टफोन, कंप्यूटर, लैपटॉप, बैंक खाते आदि पर हमला किया जा सकता है. अगर आपकी खुद की कोई वेबसाइट है तो उस पर भी इंटरनेट के जरिए हमला किया जा सकता है जिससे बचने के लिए वेब सिक्योरिटी (Web Security) का इस्तेमाल किया जाता है. 

कोई भी वेबसाइट डाटा का भंडार होती है. अगर उसमें डाटा नहीं तो उस वेबसाइट की कोई वैल्यू नहीं. हैकर्स आपकी साइट पर अटैक करके आपके डाटा को नष्ट कर सकते हैं इसलिए वेबसाइट की सुरक्षा काफी ज्यादा महत्वपूर्ण है. वेब साइट की सुरक्षा के लिए आपको वेब सिक्योरिटी के बारे में जरूर जानना चाहिए.  

वेब सिक्योरिटी क्या है? (What is Web Security?) 

वेब सिक्योरिटी एक ऐसी प्रोसेस है जिसके जरिए मौजूदा वेबसाइट और वेब सर्वर की सुरक्षा की जाती है. वेब सिक्योरिटी ऐसे नियमों का समूह है जिसका उद्देश्य वेबसाइट और सर्वर को हैकर्स से बचाना होता है ताकि वेबसाइट और सर्वर का डाटा सिक्योर रहे.  

कोई भी वेबसाइट तभी एक वेबसाइट होती है जब उसमें किसी तरह का कोई डाटा होता है जो किसी काम का हो. ये सारा डाटा सर्वर पर स्टोर होता रहता है और वेबसाइट पर डिस्प्ले होता है. 

अगर कोई हैकर किसी वेबसाइट पर अटैक करता है तो संभव है कि वो उसके सर्वर पर भी अटैक कर पाए. अगर हैकर अटैक करने में सफल होता है तो आप अपनी वेबसाइट का सारा डाटा हमेशा के लिए खो सकते हैं. 

वेब सिक्योरिटी यूजर को ऑनलाइन हमले से बचाती है, यूजर्स को वेब हमलों के बारे में जानकारी देती है तथा उनकी समस्या को हाल करने के बारे में बताती है. एक वेबसाइट पर कई तरीकों से हमला किया जा सकता है. जैसे वायरस, ईमेल स्पैमिंग आदि. 

Web Security Threats

वेब सुरक्षा के लिए कई तरह के खतरे हो सकते हैं जिन्हें Web Security Threats कहा जाता है. इनके बारे में आप नीचे देख सकते हैं. 

1) Ransomware Attack 

ये एक प्रकार का पॉपुलर साइबर अटैक है जिससे काफी लोग प्रभावित हुए हैं. इसका उद्देश्य यूजर के डाटा पर नियंत्रण पाना होता है.  इसमें आपकी वेबसाइट में वायरस इंजेक्ट किया जाता है जिसके बाद ये उसका सारा डाटा अपने कंट्रोल में कर लेते हैं. 

एक बार डाटा पर कंट्रोल हो जाने के बाद ये यूजर से निश्चित समय में फिरौती की मांग करते हैं.  यदि यूजर सही समय पर फिरौती की रकम नहीं देता है तो उसका डाटा डिलीट कर दिया जाता है. कुल मिलाकर ये किड्नैपिंग जैसा है. जैसे इंसान को किडनैप करके उसके बदले में फिरौती मांगी जाती है उसी तरह इसमें भी आपके डाटा को किडनैप करके फिरौती मांगी जाती है. 

2) XSS Attack

इसका पूरा नाम Cross Site Scripting होता है. इसमें आपको एक Malicious Script भेजी जाती है जिसे यदि आप अपनी वेब साइट के लिए इस्तेमाल कर लेते हैं तो हैकर आपकी वेबसाइट को कंट्रोल कर पाते हैं.  

ये हमला तब होता है जब आप खुद उस Malicious Script को अपनी साइट में एड करते हैं. इस हमले को रोकने के लिए आपको किसी के द्वारा भेजे गए स्क्रिप्ट पर भरोसा करने से बचना होगा. 

3) Malware Attack 

 Malware आपकी परमिशन के बिना डाटा चुराने में एक्सपर्ट होते हैं. ये आपके कंप्यूटर सिस्टम को भी नुकसान पहुंचा सकते हैं. मैलवेयर का मतलब ये होता है की आपको बिना बताए आपके कंप्यूटर में कोई ऐसा सॉफ्टवेयर इंस्टॉल किया गया है जो हैकर को आपको पूरे कंप्यूटर का कंट्रोल देता है. इस हमले से बचने के लिए आप एंटीवायरस का उपयोग कर सकते हैं. 

4) वायरस इन्फेक्शन 

वायरस भी मेलवेयर का एक भाग है.  ये कंप्यूटर में इंजेक्ट होकर तेजी से फाइल्स बनाता है जिसके कारण आपके कंप्यूटर की स्पीड काफी कम हो जाती है. ये आपके सिस्टम को काम करने से भी रोकता है.  इससे बचने के लिए भी आप एंटीवायरस का उपयोग कर सकते हैं.  

5) DDoS Attack

ये वेबसाइट या ऑनलाइन बिजनेस के लिए सबसे ज्यादा खतरनाक साइबर हमला होता है. इसमें हैकर या हमलावर यूजर को ऑनलाइन सर्विस यानि वेबसाइट तक पहुँचने से रोकता है. इस तरह के हमले से ऑनलाइन बिजनेस को काफी नुकसान पहुंचता है. इससे बचने के लिए आपको DDoS Protection Service का उपयोग करना चाहिए.  

6) Brute Force Attack 

ये एक तरीका है हैकिंग करने का जिसमें हैकर किसी वेबसाइट के अकाउंट का पासवर्ड पता करने का प्रयास करता है ताकि वह बिना किसी को बताए लॉगिन कर पाए.  इस विधि में हैकर अलग-अलग पासवर्ड का उपयोग करके पता लगाता है. वो गलत पासवर्ड का इस्तेमाल तब तक करता है जब तक उसे सही पासवर्ड नहीं मिल जाता.  

7) Insider Attack 

इस तरह के साइबर हमले उस व्यक्ति द्वारा किये जाते हैं जो वेबसाइट या सिस्टम के बारे में जानकारी रखता है. मतलब उसी संस्था का कर्मचारी या व्यक्ति.  ये मौजूदा डाटा को नुकसान पहुंचाते हैं, डाटा चोरी करते हैं, डाटा का गलत इस्तेमाल करते हैं.  इस तरह के हमलों को रोकने के लिए आपको निगरानी रखनी चाहिए और एक्सेस कुछ खास व्यक्तियों को ही देना चाहिए जिन पर आपको यकीन हो. 

8) Data Breach 

ये भी एक प्रकार का साइबर हमला है जिसमें हैकर आपके प्राइवेट डाटा का एक्सेस प्राप्त करके उस डाटा का उपयोग अपने निजी फायदे के लिए करता है.  जैसे क्रेडिट कार्ड का नंबर, यूजर की पर्सनल इनफार्मेशन, बिजनेस की जानकारी आदि. 

इसमें प्राइवेट डाटा को निशाना बनाया जाता है. हैकर इसका उपयोग पैसा कमाने के लिए करते हैं. इसमें यूजर को तुरंत ये पता नहीं लगता है की उसका डाटा कोई और इस्तेमाल कर रहा है.  

डाटा ब्रीच से बचने के लिए अपनी पर्सनल इनफार्मेशन किसी के साथ शेयर न करें. अपनी बैंकिंग डिटेल्स भी आधिकारिक संस्था के साथ ही शेयर करें. इसके अलावा आप बैंकिंग में जिन पासवर्ड का उपयोग करते हैं वो स्ट्रॉंग पासवर्ड होना चाहिए, 

वेब सुरक्षा के प्रकार 

वेब हमला कैसे और कितने प्रकार से किया जा सकता है इस बात को तो आप समझ ही गए होंगे. चलिए अब जानते हैं वेब सिक्योरिटी के प्रकार के बारे में. 

1) WAF क्या है?

WAF का पूरा नाम Web Application Firewall है. इसका इस्तेमाल वेब एप्लीकेशन पर निगरानी रखने के लिए किया जाता है. ये एप्लीकेशन को वेब हमलों से बचाती है.  

WAF में मुख्य रूप से एप्लीकेशन और इंटरनेट के बीच जो ट्रैफिक होता है उसे फ़िल्टर किया जाता है. Traffic में यदि कोई भी Malicious चीज दिखाई देती है तो WAF उसे अलग कर देती है और एप्लीकेशन तक पहुँचने नहीं देती है. इसमें Secure Web Gateway काम करता है. 

2) Vulnerability Scanners

ये एक तरह का स्कैनर होता है जो किसी वेबसाइट, एप्लीकेशन और सर्वर की कमजोरियों की जांच करता है.  इसे Vuln Scan के नाम से भी जाना जाता है. इसके द्वारा कमियों की जांच की जाती है और बाद में डेवलपर उन कमियों में सुधार करके वेब सिक्योरिटी को दमदार बनाते हैं. 

3) Password Cracking tools

यह एक ऐसा टूल है जिसका उपयोग करके यूजर सिस्टम का पासवर्ड बदल सकता है चाहे वह पासवर्ड भूल ही क्यों न गया हो.  ये दो अलग-अलग तरीके से पासवर्ड बदल सकता है. 

पहला, यदि कोई यूजर अपना पासवर्ड भूल गया है, उसे पुराना पासवर्ड नहीं याद है तो वह इस टूल की मदद से अपना पासवर्ड बदल सकता है. दूसरा, अगर किसी अनधिकृत व्यक्ति ने आपके सिस्टम में प्रवेश करके पासवर्ड को बदल दिया है तो आप पुनः इसका पासवर्ड बदल कर अपने अनुसार रख सकते हैं. 

4) Fuzzing Tools Kya hai?

 फ़जिंग टूल्स का उपयोग किसी सॉफ्टवेयर, नेटवर्क या ऑपरेटिंग सिस्टम के कोड में छुपे एरर को डिटेक्ट करने के लिए किया जाता है ताकि साइट की सुरक्षा बनी रहे. हालांकि इसका उपयोग करके हैकर भी किसी वेबसाइट और सॉफ्टवेयर की कमजोरियों का पता लगा सकते हैं. 

वेब सिक्योरिटी कैसे फायदेमंद है?

आज के समय में लोग इंटरनेट के माध्यम से करोड़ों का बिजनेस कर रहे हैं. ऐसे में वेब सिक्योरिटी एक महत्वपूर्ण पहलू है जिसके बिना इन बिजनेस की कल्पना भी नहीं की जा सकती है. अगर आपकी वेब सिक्योरिटी कमजोर है तो ये मानिए की आप कभी भी अपने ऑनलाइन बिजनेस से हाथ धो सकते हैं. वेब सिक्योरिटी के कई फायदे हैं :

– वेब सिक्योरिटी यूजर के डाटा को साइबर हमलों से सुरक्षा प्रदान कराती है. 

– ये आपकी उत्पादकता को बढ़ाने में मददगार होती है. 

– इसके जरिए ग्राहकों का ब्रांड और बिजनेस दोनों पर भरोसा बढ़ता है. 

– यह विश्वसनीय होती है. 

– वेब सिक्योरिटी आपकी साइट की रैंकिंग बढ़ाने में मदद करती है. 

– ये आपकी साइट के डाटा और यूजर की पर्सनल इनफार्मेशन को सिक्योर रखती है. 

वेब सिक्योरिटी किसी भी ऑनलाइन बिजनेस के लिए रीढ़ की हड्डी के जैसी है जिसके बिना आप ऑनलाइन बिजनेस की कल्पना नहीं कर सकते हैं. ऑनलाइन बिजनेस में सिर्फ आपके द्वारा दी जाने वाली सर्विस और वेबसाइट पर मौजूद डाटा की वैल्यू होती है. 

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अगर आप किसी साइबर हमले में अपनी साइट का डाटा खो बैठते हैं और आपके पास उसका कोई बैकअप नहीं है तो आप अपने बिजनेस से भी हाथ धो बैठेंगे. क्योंकि आपका पूरा बिजनेस तो वही डाटा था, जिसे आपने खो दिया. इसलिए किसी भी ऑनलाइन बिजनेस को शुरू करने से पहले थोड़ा बजट वेब सिक्योरिटी के लिए भी रखें ताकि आपकी साइट और आपका बिजनेस सुरक्षित रहे. 

वेब सिक्योरिटी क्या होती है? इस बारे में आप समझ ही गए होंगे. अगर आपका खुद का कोई ऑनलाइन बिजनेस है तो अपने डाटा का बैकअप लेते रहें और अपनी साइट में वेब सिक्योरिटी से संबंधित टूल्स का प्रयोग जरूर करें.  

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