फिल्मों में आपने देखा होगा कि सच का पता लगाने के लिए अपराधी का लाई डिटेक्टर टेस्ट (Lie Detector Test in Hindi) लिया जाता है. लाई डिटेक्टर टेस्ट को देखकर आपके दिमाग में भी सवाल आया होगा कि Lie Detector Test Kya Hota Hai? लाई डिटेक्टर टेस्ट कैसे होता है?
लाई डिटेक्टर टेस्ट से जुड़े कई सवाल आपके दिमाग में होंगे. अगर आप लाई डिटेक्टर टेस्ट के बारे में ज्यादा नहीं जानते हैं तो यहाँ आप काफी कुछ जान पाएंगे.
लाई डिटेक्टर टेस्ट क्या होता है? (What is Lie Detector Test?)
लाई डिटेक्टर टेस्ट एक ऐसा टेस्ट होता है जिसमें अपराधी से सच कबूल करवाने की कोशिश की जाती है. इसमें अपराधी से कुछ सवाल पूछे जाते हैं जिनमें कुछ सामान्य प्रश्न होते हैं तो कुछ उसके द्वारा किए गए अपराध से जुड़े प्रश्न होते हैं. इन प्रश्नों का उत्तर देते समय व्यक्ति के शरीर में क्या हलचल हुई इसके आधार पर विशेषज्ञ ये तय करते हैं कि अपराधी सच बोल रहा है या झूठ बोल रहा है. भारत में भी सच का पता लगाने के लिए लाई डिटेक्टर टेस्ट की मदद ली जाती है.
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लाई डिटेक्टर टेस्ट के प्रकार (Types of Lie Detector Test)
फिल्मों और वेब सीरीज में आपने कई बार लाई डिटेक्टर टेस्ट को देखा होगा. कुछ में अपराधी को दवाई दी जाती है जिसके बाद उसका लाई डिटेक्टर टेस्ट लिया जाता है, तो कुछ में मेडिकल सुपरविजन में मशीन के द्वारा लाई डिटेक्टर टेस्ट लिया जाता है. लाई डिटेक्टर टेस्ट मुख्य तौर पर दो तरह के होते हैं.
1) नार्को टेस्ट (What is Narco Test?)
नार्को टेस्ट को आपने कई फिल्मों में होते देखा होगा. इसमें अपराधी को एक ट्रुथ सीरम दिया जाता है जिसमें दवाई होती है. इस दवाई को अपराधी के शरीर में इंजेक्ट किया जाता है. जिसके बाद अपराधी बेहोशी की हालत में चला जाता है.
इस बेहोशी की हालत में अपराधी बातचीत करने लायक होता है लेकिन ज्यादा सोचने के लायक नहीं होता है. वो अपने दिमाग पर ज़ोर देकर वो बाते नहीं बता सकता जो उसने कभी किया या देखा हो.
अपराधी को ट्रुथ सीरम देकर उससे कुछ सवाल किए जाते हैं जो उसके द्वारा किए गए अपराध से जुड़े होते हैं. चूंकि अपराधी बेहोशी की हालत में होता है और दिमाग द्वारा ज्यादा ज़ोर नहीं दे पाता तो ऐसी अवस्था में वो सच ही बोलता है.
नार्को टेस्ट के द्वारा सच्चाई का पता आसानी से लगाया जा सकता है लेकिन भारत में इसकी अनुमति नहीं है. साथ ही काफी सारे देश हैं जो नार्को टेस्ट करवाने की अनुमति नहीं देते हैं.
2) पॉलीग्राफ टेस्ट (What is Polygraph Test?)
झूठ पकड़ने के लिए सबसे ज्यादा इस्तेमाल पॉलीग्राफ टेस्ट का लिया जाता है. यही तरीका भारत और दुनियाभर में सबसे ज्यादा चलन में है क्योंकि इसमें अपराधी के शरीर में किसी तरह की कोई दवाई इंजेक्ट नहीं की जाती.
इस टेस्ट में व्यक्ति के शरीर पर मेडिकल इन्स्ट्रुमेंट लगाए जाते हैं जो व्यक्ति के शरीर को मॉनिटर करते हैं. इस टेस्ट में व्यक्ति से कुछ जनरल सवाल और उन्हीं के बीच में उसके द्वारा किए गए अपराध से जुड़े सवाल पूछे जाते हैं. इन सवालों के जवाब देते समय उसके शरीर की स्थिति कैसी है इसे पॉलीग्राफ मशीन मॉनिटर करती है और ग्राफ के रूप में दर्शाती है. इस ग्राफ के आधार पर ही झूठ को पकड़ा जाता है.
लाई डिटेक्टर टेस्ट कैसे होता है? (Lie Detector Test Process)
झूठ को पकड़ने के लिए भारत में पॉलीग्राफ टेस्ट लिया जाता है. इसे ही लाई डिटेक्टर टेस्ट कहा जाता है. लाई डिटेक्टर टेस्ट कैसे होता है इसे समझने के लिए आपको पॉलीग्राफ टेस्ट को समझना पड़ेगा.
पॉलीग्राफ टेस्ट में आपके शरीर के तीन मुख्य हिस्सों के सिग्नल लिए जाते हैं.
– हार्ट बीट/ब्लड प्रेशर
– रेस्पिरेशन
– पर्सपिरेशन
पॉलीग्राफ टेस्ट में सबसे पहले आपके कमर और छाती पर दो रबर ट्यूब रेस्पिरेशन लगाए जाते हैं जो आपकी सांस लेने की स्पीड पर नजर रखता है.
आपकी बांह के ऊपर एक पट्टी लगाई जाती है जो आपके ब्लड प्रेशर या हार्ट बीट पर नजर रखता है.
एक मेडिकल इन्स्ट्रुमेंट आपकी उंगली पर लगाया जाता है जिसे पर्सपिरेशन कहते हैं. ये आपके शरीर के पसीने पर नजर रखता है.
इन तीनों मेडिकल इन्स्ट्रुमेंट को आपके शरीर पर लगाया जाता है तथा इन्हें कंप्यूटर स्क्रीन पर ग्राफ के रूप में मॉनिटर किया जाता है. पॉलीग्राफ टेस्ट में इन्हें लगाकर आपसे कुछ सवाल पूछे जाते हैं.
इन सवालों में कुछ सवाल बेहद सामान्य होते हैं. जैसे आपका नाम क्या है, कहाँ रहते हो, उम्र क्या है? इन सामान्य सवालों के दौरान ही कुछ सवाल केस से जुड़े पूछे जाते हैं. जैसे जिसकी हत्या हुई है क्या आप उसे जानते हैं?
इस तरह के सवालों में ये मॉनिटर किया जाता है कि सामान्य सवालों में ग्राफ कैसा था और केस से जुड़े सवालों में ग्राफ कैसा था. सामान्य सवालों में ग्राफ आमतौर पर नॉर्मल रहता है लेकिन केस से जुड़े सवालों में शरीर में बदलाव होते हैं और जिसके कारण दिल की धड़कन बढ़ जाती है, पसीना आने लगता है. इन्हीं टेस्ट के आधार पर ये तय किया जाता है कि सामने वाला झूठ बोल रहा है.
क्या पॉलीग्राफ टेस्ट से सच का पता लगाया जा सकता है?
पॉलीग्राफ टेस्ट से 100 प्रतिशत सच का पता तो नहीं लगाया जा सकता लेकिन इससे व्यक्ति झूठ बोल रहा है इस बात का पता लगाया जा सकता है. लेकिन कुछ लोग इस टेस्ट को फ़ेल भी कर देते हैं. यदि किसी व्यक्ति का अपने शरीर पर अच्छा कंट्रोल हो, उसे झूठ बोलने से कोई भय न हो तो वो पॉलीग्राफ टेस्ट को भी फ़ेल कर सकता है. इसके जरिये सच तो नहीं उगलवाया जा सकता लेकिन व्यक्ति झूठ बोल रहा है ये पता लगाया जा सकता है.
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लाई डिटेक्टर टेस्ट कोर्ट के आदेश पर किया जाता है. ये तभी मान्य होता है जब इसे किसी विशेषज्ञ द्वारा लिया जाए. इसे डॉक्टर की देखरेख में किया जाता है ताकि शरीर में होने बदलावों को आसानी से मॉनिटर कर सके.